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सरकार का खान ‘दान’- शिरीष खरे

अपने रिश्तेदारों और करीबियों को खदान आवंटित करने का मामला राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनकी सरकार के गले की हड्डी बन सकता है. शिरीष खरे की रिपोर्ट. राजस्थान में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव के घमासान से ठीक पहले राज्य में कांग्रेस सरकार के मुखिया अशोक गहलोत अपने करीबी रिश्तेदारों को खान आवंटित करने के मामले में बुरी तरह फंस गए हैं. गहलोत पर आरोप है कि उन्होंने...

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विशेष पैकेज की विशेष राजनीति- अरविन्द मोहन

जनसत्ता 19 मार्च, 2013: दिल्ली के रामलीला मैदान पहुंच कर बिहार के लिए विशेष पैकेज की मांग दोहराने से पहले नीतीश कुमार इस नाम पर पर्याप्त राजनीति कर चुके थे। फिर भी एक भारी भीड़ जुटा कर उन्होंने जो भाषण दिया उसकी गूंज राजधानी के राजनीतिक और मीडिया के हलकों में देर तक सुनी जाती रही तो इसकी साफ वजह सिर्फ उनकी होशियारी या सफलता नहीं है। असल में इस आयोजन...

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लैपटॉप बेच पैसे जुटाने पहुंचे छात्र

जागरण संवाददाता, लखनऊ। प्रदेश सरकार ने तकनीक की दौड़ में आगे करने के लिए छात्र-छात्राओं को मुफ्त लैपटॉप बांटे, लेकिन कुछ गरीब विद्यार्थी शायद इसका मोल नहीं समझ सके। लैपटॉप वितरण के बाद छात्र घर की बजाय सीधे मार्केट पहुंच गए और लैपटॉप बेचने के लिए कई दुकानदारों से सौदा करने की कोशिश में जुट गए। हालांकि, दुकानदारों ने इसमें हाथ डालने से इन्कार कर दिया। छात्रों ने मंगलवार को फिर...

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महामहिम, यही है हकीकत- अनुज कुमार सिन्हा

छह मार्च को हजारीबाग में शहीद निर्मल महतो पार्क के उदघाटन के मौके पर जब राज्यपाल पहुंचे, तो माल्यार्पण के लिए फूल तक नहीं था. जल्दबाजी में फूल का पूरा बोरा ही उठा कर लाया गया. मंच पर बैठने की ढंग से व्यवस्था तक नहीं थी. मंच छोटा था. अव्यवस्था थी. राज्यपाल नाराज हुए और कहा कि अपने लंबे राजनीतिक जीवन में राज्यपाल के कार्यक्रम में ऐसी अव्यवस्था नहीं देखी. वन...

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क्या विरोध का ढंग बदल सकता है- गिरिराज किशोर

जनसत्ता 5 मार्च, 2013: इक्कीस-बाईस फरवरी का भारत-बंद लगभग सफल हुआ। उसके लिए श्रमिक संगठनों को बधाई। लेकिन इस महाबंद ने मन में कई सवाल उठा दिए। बंद होते रहते हैं। दो मुख्य तर्क इनके पीछे हैं। एक, मजदूरों या कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा, और दूसरा, अपने अधिकारों की शांतिपूर्ण और सामूहिक अभिव्यक्ति। दोनों बातें अपनी जगह सही हैं। मजदूर के अधिकार का संरक्षण होना जरूरी है। लेकिन असंगठित मजदूर...

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