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विकास के किफायती मॉडल की ओर - जयंत सिन्‍हा

सुस्त वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत प्रगति की मशाल थामने और दुनिया के विकास में मुख्य भागीदार बनने को तैयार है। अगले दशक में सकल आर्थिक विकास की दृष्टि से भारत लगभग चीन जितनी और अमेरिका से लगभग दोगुनी भागीदारी करने वाला है। भारतीयों के लिए भारत में तैयार उत्पाद और सेवाओं का उपयोग पूरी विकासशील दुनिया में किया जाने वाला है। इसलिए भारत का किफायती विकास मॉडल न सिर्फ मात्रात्मक...

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'नेट न्यूट्रैलिटी' है जरूरी, इंटरनेट पर क्यों हो किसी का एकाधिकार?

भारत में इंटरनेट का उपयोग करनेवालों की संख्या पिछले साल ही 35.4 करोड़ से अधिक हो चुकी थी. इसमें करीब 60 फीसदी इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन पर करते हैं. यह संख्या लगातार बढ़ रही है. लेकिन, इंटरनेट तक सभी लोगों की पहुंच समान रूप से रहे या किसी कंपनी को अलग-अलग वेबसाइट्स के लिए अलग-अलग दरें और स्पीड तय करने का एकाधिकार मिले, इस पर इन दिनों जोरदार बहस...

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नौकरी छोड़ गांव की तस्वीर बदलने में जुटा इंजीनियर

जगदलपुर। विकास से कोसों दूर नक्सल प्रभावित दरभा ब्लॉक के ग्राम पंचायत गुमड़पाल की कमान एक ऐसा आदिवासी युवक पंडरू राम संभाल रहा है, जो केरल से बीटेक (मैकेनिकल) की डिग्री लेकर लौटा है। फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने वाले पंडरू को शहर की चकाचौंध रास नहीं आई और उन्होंने अपने गांव को विकसित करने का संकल्प लिया। 2010 में चुनाव लड़कर जनपद सदस्य बने और आदिवासियों का पलायन रोकने की दिशा...

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भारी अनियमितता का शिकार है मिड डे मील स्कीम-- सीएजी

क्या स्कूलों में बच्चों का नामांकन बढ़ाने का मिड डे मील स्कीम का जादू कमजोर पड़ रहा है ?     सीएजी की एक नई रिपोर्ट से इसी आशंका की पुष्टी होती है. रिपोर्ट के अनुसार मिड डे मील योजना वाले सरकारी स्कूलों में जहां छात्रों का नामांकन घट रहा है वहीं प्राइवेट स्कूलों में बच्चों का दाखिला बढ़ा है.(सीएजी की रिपोर्ट के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)     27 राज्य और 7 संघशासित...

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एक-समान शिक्षा प्रणाली से होगा बेहतर समाज का निर्माण

बेहतर देश के निर्माण के लिए बेहतर समाज का होना पहली शर्त है. किसी भी देश का सतत विकास तभी मुमकिन है, जब वहां के विभिन्न समाज और समुदायों के बीच सौहार्द, शांति व भाईचारा हो. बीता साल 2015 इस लिहाज से कुछ अच्छी यादों के साथ-साथ कई कड़वी यादें भी छोड़ गया है. हाल के दशकों में तेज आर्थिक विकास के बावजूद हमारे समाज में व्याप्त कुछ...

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