मीडिया की समाज में काफी महत्त्वपूर्ण भूमिका है। मीडिया को लोकतांत्रिक व्यवस्था का चौथा स्तंभ भी कहा जाता है, क्योंकि इसकी जिम्मेदारी देश और लोगों की समस्याओं को सामने लाने के साथ-साथ सरकार के कामकाज पर नजर रखना भी है। लेकिन पिछले कुछ दिनों में मीडिया की कार्यप्रणाली और रुख पर सवाल उठने शुरू हो गए हैं। सवाल यह है कि क्या मीडिया बदल रहा है? क्या मीडिया के नैतिक...
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सजा से अधिक समय जेल में काट चुके कैदियों की होगी रिहाई
पटना: छोटे स्तर पर कानून के साथ खिलवाड़ करने के मामलों में राज्य के विभिन्न जेलों में बंद कैदियों की गलती व उनकी सजा पर मंथन शुरू हो चुका है. राज्य कारा प्रशासन ने सूबे के सभी जेलों के अधीक्षकों को पत्र लिख कर जेलों में बंद विचाराधीन कैदियों का पूरा लेखा-जोखा तलब किया है. जेल आइजी के अनुसार यह लेखा-जोखा केंद्रीय गृह मंत्रलय के उस दिशा निर्देश के तहत मांगा...
More »इतने सारे लोग आखिर वोट क्यों नहीं देते- पंकज चतुर्वेदी
दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में 16वीं लोकसभा चुनने का उत्सव शुरू हो चुका है। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए चुनावी प्रक्रिया में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए हैं, लेकिन सवाल यह है कि क्या हमारी सरकार वास्तव में जनता के बहुमत की सरकार होती है। यह लोकतंत्र के मूल सिद्धांत पर व्यंग्य ही है कि केंद्र की सरकार आम तौर पर कुल आबादी के 14-15 फीसदी लोगों के समर्थन...
More »छोटे राज्यों के बड़े प्रश्न- रोहित जोशी
जनसत्ता 25 फरवरी, 2014 : भारत में राज्यों के पुनर्गठन का प्रश्न नया नहीं है। यह लगातार यक्ष प्रश्न बना रहा है कि आखिर इतने विविधतापूर्ण देश में राज्यों के पुनर्गठन का एक सर्व-स्वीकार्य और जायज तार्किक आधार क्या हो? साथ ही पृथक तेलंगाना का यह विवाद भी नया नहीं है और जितना हो-हल्ला इस मसले पर हमने पिछले दिनों में देखा उसकी एक लंबी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि है। 1956 में संसद...
More »सबसे ज्यादा अनपढ़ लोगों का देश- श्योराज सिंह बेचैन
यह दुखद सच्चाई पिछले दिनों एक सर्वेक्षण के जरिये सामने आई कि भारत अनपढ़ वयस्कों की सर्वाधिक आबादी वाला देश है। आंकड़ा बताता है कि अनपढ़ों की यह जनसंख्या उन्तीस करोड़ को छूने जा रही है। इससे अधिक चिंता का विषय और क्या होगा कि पूरी दुनिया की अनपढ़ आबादी का 37 फीसदी हिस्सा उस भारत में है, जो अपने आप को विश्व गुरु मानता रहा है, और जिस देश के...
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