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आरटीआई में पीठ पीछे संशोधन नहीं

केंद्रीय कार्मिक मंत्री पृथ्वीराज चवाण का कहना है कि अवाम से सलाह मशविरे के बगैर सूचना का अधिकार अभियान में संशोधन करने का सवाल ही नहीं पैदा होता। सूचना के अधिकार अभियान(नेशनल कंपेन फॉर पीपल्स राइट टू इन्फॉरमेशन) के एक प्रतिनिधिमंडल से अपने दफ्तर में बातचीत के दौरान केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रस्तावित संशोधनों की रुपरेखा क्या होगी, इस विषय पर अभी कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है।   श्री...

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अमेरिका: हर सातवें घर में रही भूख की छाया

वाशिंगटन। मंदी से प्रभावित अमेरिका में पिछले वर्ष हर सातवें घर में हमेशा पर्याप्त भोजन उपलब्ध नहीं था, जो जीवन की मूल आवश्यकता है। सरकार द्वारा सोमवार को जारी आंकड़ों से यह जानकारी मिली है। समाचार एजेंसी डीपीए के अनुसार अमेरिकी कृषि विभाग ने कहा कि वर्ष 2008 में भूख दर 14.6 प्रतिशत रही। इसका अर्थ हुआ कि अमेरिका के करीब पांच करोड़ लोगों को साल के दौरान खाद्य असुरक्षा...

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आरटीआई में बदलाव के विरूद्ध प्रदर्शन

 सूचना के अधिकार अधिनियम में सरकार द्वारा बदलाव की आशंका के मद्देनजर कई नागरिक संगठन इसके विरोध में एकजुट हो रहे हैं ताकि इस ऐतिहासिक अधिनियम को नखदंत विहीन करने की कोशिशों को नाकामयाब किया जा सके। नेशनल काऊंसिल फॉर पीपल्स राईटस् टू इन्फॉरमेशन(एनसीपीआरआई) की अगुवाई में नागरिक संगठन 14 नवंबर को दिन में 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक जंतर-मंतर(दिल्ली) पर विरोध प्रदर्शन किया। एनसीपीआरआई ने सूचना...

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गांवों में भी समय दें डॉक्टर : प्रतिभा पाटिल

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता : राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने युवा डाक्टरों से अपील की है कि वे अपने चिकित्सकीय जीवन का कुछ समय दूरदराज के क्षेत्रों व ग्रामीण इलाकों में दें, ताकि वहां के लोगों को बेहतर स्वास्थ लाभ मिल सके। सोमवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में आयोजित 37वें दीक्षांत समारोह के दौरान राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कहा कि इससे न केवल डॉक्टरों को राष्ट्रसेवा का सुख मिलेगा बल्कि...

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किसानों की गरीबी घटाने में छोटी जोतें बड़ी बाधा

लखनऊ। सरकार का नजरिया कुछ भी हो पर कृषि वैज्ञानिकों का मानना है कि उत्तर प्रदेश में 91 फीसदी किसानों की जोतें इतनी छोटी हैं कि इनके बूते गरीबी उन्मूलन तो दूर की बात, उनके परिवारों का पेट भर पाना ही कठिन है। इस मजबूरी में कृषि विविधीकरण सहित तमाम कृषि सुधार योजनाओं का फोकस सिर्फ नौ फीसदी किसान हैं, जिनके बूते सरकार कभी उत्पादन दुगुना करने का सपना देखती...

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