साल २००५ से २००७ के बीच दुनिया में गेंहूं, चावल और तेलहन के दामों में दोगुनी बढ़ोतरी हुई है और इन चीजों के दामों में साल २००८ की पहली छमाही में भी बढ़ोतरी जारी रही।ओईसीडी(आर्गनाइजेशन फॉर इकॉनॉमिक को-ऑपरेशन एंड डेवलपमेंट) की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगामी दस सालों में चावल-गेहूं सहित बाकी अनाज और तेलहन में पिछले दशक के मुकाबले १० से ३५ फीसदी की बढ़ोतरी होगी।...
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बिना कत्ल ही कातिल बना दिया, 13 साल बाद न्याय
चंडीगढ़। देश की पुलिस प्रणाली को कठघरे में खड़ा करता एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। हालाकि न्याय पालिका ने ही इस मामले में आखिरकार न्याय दिया, लेकिन चूक तो यहा भी हुई थी। जीते जागते व्यक्ति की हत्या में पुलिस ने पाच लोगों को आरोपी बना दिया। पुलिस द्वारा पेश गलत सबूतों के आधार पर निचली अदालत ने आरोपियों को दोषी मान उम्र कैद की सजा भी सुना दी।...
More »किसानों की झोली भरने में सक्षम है बेबी कॉर्न
विशिष्ट तरह के मक्के 'बेबी कॉर्न' में किसानों के लिए मुनाफे का सौदा साबित होने की पूरी क्षमता है। इसके पीछे ऊंची कीमत और घरेलू व निर्यात बाजार में बेबी कॉर्न की तेजी से बढ़ रही मांग के अलावा और भी कई वजहें हैं। बेबी कॉर्न की फसल काफी कम समय में तैयार हो जाती है और इस तरह एक ही जमीन में तीन से चार फसल आसानी से उगाई जा...
More »विलुप्त हो रहे परंपरागत बीजों को बचाने की दरकार
हरित क्रांति की शुरुआत करने वाले नॉर्मन बोरलॉग को हाइब्रिड यानी संकर किस्म के बीज तैयार करने के लिए अक्सर याद किया जाता है लेकिन आज छोटे किसानों के कई ऐसे समूह हैं जो पारंपरिक बीजों की खोज कर रहे हैं। ऐसे बीजों की बुआई कुछ जगहों पर प्राथमिकता के आधार पर होती है और वहां हाइब्रिड बीज का इस्तेमाल नहीं होता है। दो साल पहले छत्तीसगढ़ में भारी बारिश हुई...
More »उत्तराखंड की बांध परियोजनाएं-किसको क्या मिला?
नये राज्यों के गठन के पीछे एक तर्क उनके आर्थिक विकास का दिया जाता है। छत्तीसगढ़ और झारखंड के साथ-साथ उत्तराखंड का गठन नये राज्य के रुप में हुआ तो जातीय पहचान के साथ-साथ इन राज्यों के आर्थिक विकास का भी तर्क दिया गया था। उत्तराखंड को अस्तित्व में आये अब तकरीबन नौ साल पूरे हो रहे हैं। चिपको आंदोलन समेत कई जनआंदोलनों की जन्मभूमि रहे उत्तराखंड में फिलहाल बांध...
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