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सुधारों की दिशा और आम आदमी( पू्र्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के जन्मदिवस पर प्रभात खबर की विशेष प्र?

भारत में आर्थिक सुधारों को लागू किये जाने के 22 वर्ष बाद भी इस पर मंथन का दौर जारी है. पिछले दो दशकों के अनुभव हमें बता रहे हैं कि आर्थिक उदारीकरण के पैरोकारों ने जिस स्वर्णिम भविष्य का हमसे वादा किया था, वह सच्चाई से दूर, छल से भरा हुआ और भ्रामक था. इन वर्षों में आर्थिक उदारीकरण विकास के चमचमाते आंकड़ों पर सवार होकर हम तक जरूर आया,...

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गांवों को अधिकार बताने निकल पड़ी ‘तलाश’

गांव-पंचायतों में जागरूकता फैलाने का ‘तलाश’ का प्रयास रंग लाने लगा है. ग्राम पंचायत को खुद का निर्णय लेने व उन्हें अधिकार संपत्र बनाने के अभियान में जुटी यह एक वैचारिक संस्था है. बिहारशरीफ के बेलदार बिगहा गांव में इसके कार्यक्रम में भारी संख्या में पंचायत प्रतिनिधि एकजुट हुए. ‘तलाश’ का यह मानना है कि यह अभियान पूरे बिहार में एक क्रांति के रूप में सामने आयेगा, जब सूबे के हर गांव...

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बिहार में सहकारिता में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण मिसाल बनेगा : नीतीश

पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मंगलवार को कहा कि प्रदेश में सहकारी संस्थाओं में महिलाओं को 50 फीसद आरक्षण मिलने से इस आंदोलन को बल मिलेगा और यह अन्य प्रदेशों के लिए उदाहरण बनेगा। बिहार विधानसभा में पेश ‘बिहार स्वावलंबी सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक 2013\' के बारे में जानकारी देते हुए सहकारिता मंत्री रामधार सिंह के यह बताए जाने पर कि सहकारी संस्थाओं के प्रबंधन समितियों में महिलाओं...

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इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप 2013 के परिणाम घोषित

हिन्दी और अंग्रेजी भाषा के आठ पत्रकारों का चयन विकासशील समाज अध्ययन पीठ(सीएसडीएस) द्वारा दी जाने वाली इन्कूलिसिव मीडिया फैलोशिप के लिए हुआ है। चयनित पत्रकार देश के छह राज्यों से हैं। खोजी और सार्थक पत्रकारिता की श्रेष्ठ परंपरा का निर्वाह करते हुए चयनित फैलो ग्रामीण समुदाय की चिन्ताओं और समस्याओं को जन-सामान्य के बीच लाने और उस दिशा में नीतिगत हस्तक्षेप की जमीन तैयार करने के लिए, उनके बीच कुछ समय बितायेंगे। फैलोशिप के अभ्यर्थियों का...

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बाजार नहीं, जनहितैषी नीतियां बनाये सरकार- जोसेफ स्टिग्लिज

- अर्थशास्त्र के लिए 2001 में नोबल पुरस्कार जीतनेवाले प्रो जोसेफ इ स्टिगलिट्स ने सोमवार को पटना में आद्री के स्थापना दिवस व्याख्यान में बाजार, सरकार व समाज की भूमिका से लेकर अमेरिका के संकट तक को बहुत आसान शब्दों में रखा और बताया कि पूंजीवाद को लगातार पुनर्परिभाषित करते रहने की जरूरत क्यों है. हमलोग उनके इस व्याख्यान के बरक्स अपनी सरकारों के नीतिगत फैसलों, बाजार की भूमिका और अपने समाज...

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