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सवाल यह है कि पहले कभी ये मजदूर आते-जाते क्यों नहीं दिखे?

-गांव कनेक्शन, पूरा भारत लॉकडाउन में है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों से अपील कि 21 दिन तक कोरोना से बचाव के लिए वो घरों के बाहर लक्ष्मण रेखा खींच लें। होटल-ढाबे बंद हैं, बस-ट्रेनें बंद हैं, ऐसे में दूसरे राज्यों में फँस चुके लाखों मजदूर सैकड़ों किलोमीटर दूर पैदल ही अपने घर की ओर निकल पड़े हैं, यह मजदूर क्या चाहते हैं और क्यों इन मजदूरों की ऐसी दशा हुई,...

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कोरोना वायरस: मोदी सरकार की घोषणाएं ऊंट के मुंह में ज़ीरे समान

-बीबीसी, 26 मार्च को केंद्र सरकार ने एक ऐसे वित्तीय पैकेज का एलान किया, जो 21 दिनों लंबे लॉकडाउन के दौरान बिगड़ने वाली आर्थिक स्थिति को सुधारने में मददगार साबित हो. इस देशव्यापी लॉकडाउन का एलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक दिन पहले ही किया था. लेकिन, सरकार द्वारा घोषित ये वित्तीय मदद, हालात को देखते हुए, उम्मीद से बहुत ही कम और अपर्याप्त है. ये उन लोगों की मदद करने में...

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पीएम-किसान योजना की किस्त अप्रैल में देना एक सामान्य प्रक्रिया

-आउटलुक, कोरोना वायरस के कारण देशभर में लॉकडाउन के समय में केंद्र सरकार किसानों की मदद का दावा कर रही है कि प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के तहत 8.69 लाख किसानों को 2,000 रुपये की किस्त अप्रैल में देगी, इसमें नया क्या है? पीएम-किसान योजना के तहत केंद्र सरकार किसानों को सालाना 6,000 रुपये तीन समान किस्तों में 2,000-2,000 रुपये का आवंटन करती है तथा इन किस्तों का आंवटन सरकार...

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जेल, क़ैदी और कोरोना

-न्यूजलॉन्ड्री, 24 मार्च को रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिनों के लिए देशभर में पूर्ण रूप से लॉकडाउन करने का फैसला सुनाया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा कि इस बीमारी का एकमात्र इलाज लोगों से दूरी बनाकर अपने घरों में रहना है. उन्होंने कहा कि जिन राष्ट्रों में सबसे बेहतर मेडिकल सुविधाएं हैं, वे भी इस वायरस को रोक...

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यहां से देखाेः साइंटिफिक टेम्पर की “सामूहिक हत्या”!

मीडियाविजिल, “पिछले कुछ साल में गैर-जिम्मेदार नेताओं ने जान-बूझ कर विज्ञान, सरकारी संस्थाओं और मीडिया से जनता का विश्वास डिगाया है. ये ग़ैर-ज़िम्मेदार नेता अधिनायकवाद का रास्ता अपनाने को लालायित हैं, उनकी दलील होगी कि जनता सही काम करेगी इसका यकीन नहीं किया जा सकता.” इज़रायली दार्शनिक युवाल नोह हरारी ने प्रसिद्ध अखबार फाइनेंशियल टाइम्स में बीते 20 मार्च को लिखे अपने लंबे लेख में कुछ बहुत ही मार्के की बातें कही...

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