-न्यूजक्लिक, संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर 31 जनवरी को देश भर में किसानों ने "विश्वासघात दिवस" मनाया और जिला और तहसील स्तर पर बड़े रोष प्रदर्शन आयोजित किए। मोर्चे से जुड़े सभी किसान संगठनों ने इसमें भागीदारी की है। किसान संगठनों ने दावा किया कि यह कार्यक्रम देश के कम से कम 500 जिलों में आयोजित किया गया है। जिसमें बड़ी सभाएं और जुलूस शामिल थे, जहां प्रदर्शनकारियों ने जिला...
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पूंजीवाद और लोकतंत्र के ऐतिहासिक रिश्तों के आईने में संवैधानिक मूल्यों की परख
-जनपथ, प्रस्तुत लेख पॉपुलर एजुकेशन एंड ऐक्शन सेंटर (पीस), दिल्ली द्वारा बीते वर्ष अक्टूबर में संवैधानिक मूल्यों पर शुरू की गयी एक फैलोशिप के तहत चलाए गए अभिमुखीकरण सत्र में दिए गए पहले ऑनलाइन व्याख्यान का संपादित रूप है। पीस के मुख्य कार्यकारी और प्रशिक्षक अनिल चौधरी ने सामाजिक-आर्थिक न्याय, पत्रकारिता और कला व संस्कृति के फैलोज़ को इस व्याख्यान में संबोधित किया था। संपादक गाँधी जी ने दक्षिण अफ्रीका में रहते हुए...
More »बेरोजगारी से परेशान होकर आंदोलन करने को मजबूर, देश का युवा इतना बेचैन क्यों है?
-द प्रिंट, जब देश अपना 73वां गणतंत्र दिवस मना रहा था तब बिहार से कुछ ऐसी तस्वीरें आईं जिन्हें देखकर गुस्सा भी आया और तरस भी. गुस्सा इस बात का कि सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया. सरकारी रेल की कई बोगियों को आग के हवाले कर दिया गया. तरस इस बात पर कि देश के युवा क्यों बार-बार इस तरह के आंदोलन करने को मजबूर हो जाते हैं? आखिर इस...
More »यूपी चुनाव 2022: प्रदेश में लाखों कुपोषित बच्चे, फिर भी 66% पोषण निधि नहीं हुई खर्च
-गांव कनेक्शन, सर्द सुबह में, नन्ही रुसुदा प्लास्टिक की चादरों, सीमेंट की बोरियों और गूदड़ों से बनी अपनी झोंपड़ी में इस उम्मीद में भागी कि उसकी मां के पास खाने के लिए कुछ होगा। अंदर उसकी मां सन्नो के पास अपनी ढाई साल की बेटी को खिलाने के लिए कुछ नहीं था। वह बर्तनों से चिपका खाना खुरच कर निकालने लगी। खाने के लिए पिछली रात की थोड़ी सी बची हुई...
More »क्या मतदान का अधिकार राजनीतिक व्यवहार को प्रभावित करता है? भारत से ऐतिहासिक साक्ष्य
-गांव सवेरा, लोकतंत्र को लंबे समय से बेहतर आर्थिक विकास परिणामों के लिए जाना जाता है। हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि नागरिकों को मतदान का अधिकार देना, राजनीतिक भागीदारी या प्रतियोगिता को प्रभावी बनाए रखने को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त है या नहीं। एक नए प्रयोग के तहत 1921-1957 के दौरान जिला-स्तरीय डेटासेट को आधार बनाते हुए यह लेख इस बात की जाँच करता है कि भारत में किस...
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