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अपनी सभ्यता की शर्तों पर- रमेशचंद्र शाह

जनसत्ता 15 जुलाई, 2014 : तात्कालिक आवश्यकता इस समाज में ही अतर्निहित, लेकिन दबी-घुटी मूल्य चेतना और आत्म-ज्ञान को उभारने-जगाने की है। फिलहाल लक्षण कुछ ऐसे ही प्रतीत हो रहे हैं कि नया राजनीतिक नेतृत्व अपने पूर्ववर्तियों की तुलना में इस मानी में ज्यादा संवेदनशील और जनोन्मुखी होगा। अवसरवादियों-चाटुकारों, नकलचियों और अल्पसंख्यक-तुष्टीकरण की राजनीति करने वाले दंभी पुण्यात्माओं का अभयारण्य नहीं, जो कि अपने ही देश को उपनिवेश की तरह...

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शक्ति की करो तुम मौलिक कल्पना- रमेशचंद्र शाह

जनसत्ता 14 जुलाई, 2014 : भीतर और बाहर के सूने सपाट में अकस्मात यह कैसी तरंग उठी और उठ कर फैलती ही गई! महज एक काव्य-पंक्ति, सबकी जानी-मानी एक सुविख्यात कवि की क्यों इस तरह अयाचित और अकस्मात मन में कौंध उठी कि मुझे लगने लगा- मुझे जो कुछ कहना था वह मैंने कह दिया और कहने के साथ ही कर भी दिया। कुछ इस तरह कि मानो जो कुछ भीतर...

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सीएजी ने पकड़ी 10 हजार करोड़ रुपए की गड़बड़ी

पटना. वित्तीय कुप्रबंधन के कारण राज्य सरकार को दस हजार करोड़ रुपए की चपत लगी है। मंगलवार को पेश अपनी रिपोर्ट में कैग (नियंत्रक-महालेखापरीक्षक) ने कई विभागों की गड़बड़ियां उजागर की है। कैग ने सर्वशिक्षा अभियान, खाद्य एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग, राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में भारी गड़बड़ी पकड़ी है। कई विभागों में वित्तीय कुप्रबंधन समाने आया है तो कई विभागों में नियम-कानून में हेरफेर कर सरकार को चूना लगाया...

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वंचित भारत की कहानी- इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट की जुबानी

‘अतुल्य भारत' के भीतर एक वंचित भारत रहता है,दलित और आदिवासी समुदाय इसी वंचित भारत के वासी हैं। क्या इस वंचित भारत का निर्माण राज्यसत्ता के हाथों जीवन के लिए जरुरी बुनियादी सेवा-सामानों से लोगों को बेदखल करके हुआ है? जैसा कि नाम से ही जाहिर है,इंडिया एक्सक्लूजन रिपोर्ट 2013-14 का एक निष्कर्ष यह भी है! (कृपया देखें नीचे दिया गया रिपोर्ट की भूमिका की लिंक) मिसाल के लिए इन...

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मोटे अनाज की खेती से बहुरे किसानों के दिन

किसानों के लिए वह स्थिति और भी कष्टदायी होती है, जब मॉनसून फेल हो जाने या कम वर्षा होने के कारण वह सही तरीके से धान की फसल की बुआई नहीं कर पाते हैं. कृषि वैज्ञानिक किसानों को हमेशा यह सलाह देते हैं कि ऐसी स्थिति में उन्हें खेती के दूसरे विकल्प को अपनाने के लिए तैयार रहना चाहिए. खेती के लिए फसल के दूसरे विकल्पों में मक्का तथा मडुवा के...

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