नई दिल्ली। औद्योगिक संगठन फेडरेशन आफ इंडियन चैंबर्स आफ कामर्स एंड इंडस्ट्रीज [फिक्की] ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि सरकार को गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले परिवारों के लिए सस्ते खाद्यान्न की बजाय सीधे खाद्यान्न टिकट जारी करना चाहिए। फिक्की ने कहा है कि जन वितरण प्रणाली [पीडीएस] के तहत गरीब परिवारों को सब्सिडी युक्त खाद्यान्न उपलब्ध कराने की वर्तमान व्यवस्था को खत्म कर देना चाहिए क्योंकि इसमे कई स्तरों पर खामियां...
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किसानों की आत्महत्याः एक 12 साल लंबी दारूण कथा
कुछ लोगों के लिए किसानी मुनाफे का धंधा हो सकती है, लेकिन देश की बहुसंख्यक आबादी के लिए यह घाटे का सौदा बना दी गई है. न सिर्फ घाटे का सौदा, बल्कि मौत का सौदा भी. और यह सिर्फ इसलिए किया जा रहा है, क्योंकि खेती से महज कुछ लोगों का मुनाफा सुनिश्चित रहे. यही वजह है कि खेतिहरों के कर्जे की माफी का फायदा भी आम खेतिहरों को नहीं मिला बल्कि बड़े किसानों को...
More »धरती कहे पुकार के
ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
More »छोटी सी उम्र और.. जज्बा बड़ा
नई दिल्ली। छोटी सी उम्र, लेकिन बड़ा जज्बा और काम उससे भी बड़ा। काम इतना बड़ा कि राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल भी झुक गई और उसे व्यक्तिगत तौर पर मिलने के लिए बुला लिया। बात हो रही है छह साल की बच्ची सरजाना की। पश्चिम बंगाल की रहने वाली इस बच्ची ने बुधवार को राष्ट्रपति से मुलाकात के दौरान अपनी तरफ से 205 रुपये का चेक प्रधानमंत्री राहत कोष के लिए दान किया। रकम बेशक,...
More »..जहां ग्राम अदालत का चलता है कानून
बहरामपुर [उड़ीसा]। उड़ीसा में एक ऐसी जगह है जहां विवादों को निपटाने में अदालत की भूमिका नहीं होती, बल्कि ग्राम अदालत द्वारा लगाई गई कचहरी में ही विवादों की सुनवाई होती है और कभी-कभी दोषियों को कैद की सजा भी दी जाती है। ग्राम अदालत के फैसले सभी को सर्वमान्य होते हैं और कोई भी इसके फैसले को चुनौती नहीं देता। बहरामपुर से 35 किलोमीटर दूर उड़ीसा के गंजाम जिले के सानाखेमुंडी प्रखंड की गौतमी...
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