-आउटलुक, “हिंदुत्ववादी शक्तियां इतिहास को विचारधारा के अनुसार बदलने के लिए राजसत्ता का इस्तेमाल करती हैं” पिछली शताब्दी के शुरुआती वर्षों से ही हिंदू सांप्रदायिक शक्तियां भारत के अतीत को अपने चश्मे से देखकर इतिहास को अपनी विचारधारा के अनुसार बदलने की कोशिश करती रही हैं। पुरुषोत्तम नागेश ओक ने पांच दशकों से भी अधिक समय तक इस अभियान का नेतृत्व किया और कई पुस्तकें लिखीं। 1964 में ‘भारतीय इतिहास पुनर्लेखन संस्थान’...
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जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन संबंधी जानकारी देने से मना करने पर सीआईसी की फटकार
-द वायर, केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने 2018 में जम्मू कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की घोषणा और जम्मू कश्मीर पुनर्गठन बिल 2019 को लेकर सूचना के अधिकार (आरटीआई) के तहत पूछे गए सवाल पर जवाब देने से छूट का दावा किया है. सीआईसी का कहना है कि राष्ट्रपति भवन ने बिना उचित कारण और औचित्य बताए गोपनीयता का हवाला देकर जवाब देने से इनकार किया है. सीआईसी ने हालांकि, केंद्रीय जन...
More »आधिकारिक डेटा 2020 राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान शहरी क्षेत्रों में आजीविका संकट के गहराने की पुष्टि करता है!
हाल ही में जारी किया गया त्रैमासिक आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) डेटा मोटे तौर पर देशव्यापी लॉकडाउन अवधि के दौरान रोजगार और नौकरियों में गिरावट की पुष्टि करता है, हालांकि विभिन्न सर्वेक्षण-आधारित अध्ययन और शोध पत्र इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पिछले साल लॉकडाउन के बाद के महीनों में कुछ हद तक सुधार हुआ है. पीएलएफएस पर त्रैमासिक बुलेटिन केवल वर्तमान साप्ताहिक स्थिति (सीडब्ल्यूएस) संदर्भ में...
More »हिरासत में मौत के मामलों में यूपी नंबर 1, पिछले 3 साल में 1318 लोगों की हुई मौत
-इंडियास्पेंड, 'यूपी नंबर 1', हाल के दिनों यह लाइन और इससे जुड़े पोस्टर-विज्ञापन बहुतायत में देखने को मिल रहे हैं। उत्तर प्रदेश के अलग-अलग पहलुओं पर नंबर वन होने की कहानियां इसमें बताई जाती हैं, लेकिन इन कहानियों के इतर प्रदेश कुछ ऐसे मामलों में भी नंबर वन है जिनका जिक्र नहीं होता, जैसे - हिरासत में मौत के मामलों में उत्तर प्रदेश नंबर वन है। इसी 27 जुलाई को लोकसभा में...
More »बुंदेलखंड: बादल मेहरबान, किसान फिर भी परेशान
-डाउन टू अर्थ, उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में झांसी जिले के किसान सुबोध यादव पिछले तीन दशक से सफल किसान के रूप में अपनी फसलों से संतोषजनक पैदावार ले रहे थे। लेकिन पिछले पांच सालों में मौसम, खासकर बारिश के बदले मिजाज ने खरीफ की फसलों के उनके हिसाब किताब गड़बड़ा दिया है। इस साल उन्होंने बारिश के पहले अपने नौ बीघा खेत में दस हजार रुपए की लागत से तिल...
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