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बेहाल किसान और ढेर सारी योजनाएं- जयंतीलाल भंडारी

इस समय देश में किसानों और कृषि क्षेत्र की हालत अच्छी नहीं है। ग्रामीण इलाकों में खपत में कमी और देहातों में बढ़ती परेशानी गंभीर चिंता का विषय बन चुकी है। यह चिंता इसलिए भी बढ़ गई है कि खराब मौसम की मार के चलते कृषि क्षेत्र का संकट इस साल और गहराने की आशंका है। दूसरी ओर, वैश्विक स्तर पर जिंस बाजार के असामान्य व्यवहार और कीमतों में गिरावट...

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ताकि अकेला महसूस न करें हमारे बुजुर्ग

बुजुर्गों की जिंदगी आसान बनाता स्टार्टअप ‘सीनियरवर्ल्ड डॉट कॉम' हमारे देश में वरिष्ठ नागरिकों की संख्या लगभग 12 करोड़ है़ यह संख्या यूके और कनाडा की संयुक्त आबादी से ज्यादा है़ यही नहीं, आंकड़े बताते हैं कि बुजुर्ग जनसंख्या की वृद्धि दर देश की जनसंख्या से दोगुनी है. इस आधार पर देश में बुजुर्गों की संख्या वर्ष 2026 तक 17 करोड़ हो जाने का अनुमान है़ फिर भी यह वर्ग उपेक्षित...

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आधी अधूरी खाद्य व्यवस्था-- जाहिद खान

तत्कालीन यूपीए सरकार जब साल 2013 में राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक लेकर आई, तो यह उम्मीद बंधी थी कि इस विधेयक के अमल में आ -जाने के बाद देश की 63.5 फीसद आबादी को कानूनी तौर पर तय सस्ती दर से अनाज का हक हासिल हो जाएगा। अफसोस, इस कानून को बने तीन साल हो गए, मगर यह आज भी पूरे देश में अमल में नहीं आ पाया है। नौ...

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महबूबनगर जिले के हाल से सामने आया मनरेगा के 10 सालों का सच - चक्रधर बुद्ध/ राजेंद्रन नारायणन

महात्‍मा गांधी राष्‍ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून(मनरेगा ) को 10 साल पूरे हो गए हैं। एनडीए सरकार का दावा है कि इसके शासन के चलते इस योजना को लागू करने में बदलाव आया है। इस दावे की सच्‍चाई पर सवाल उठना लाजिमी ह‍ै क्‍योंकि कई जगहों पर इसे लागू करने में कमियां रही है। इस पर ध्‍यान देने के लिए हम तेलंगाना के महबूबनगर जिले के घटू मंडल का उदाहरण...

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कभी ट्रेन में मांगते थे भीख आज अनाथों के नाथ एलेक्स

पाकुड़: दूसरों की पीड़ा को खुद में महसूस करने की भावना आसानी से नहीं आती और अगर आ जाये तो आदमी महान बन जाता है. पाकुड़ के एलेक्स साम की दास्तां और उपलब्धि इस बात का प्रमाण है. एलेक्स बचपन से अनाथ हैं. उसने अपना बचपन ट्रेन में भीख मांगते हुए, लोगों की उपेक्षा और भूख की मार सहते गुजारा, लेकिन अब तक वह 46 यतीम बच्चों की अंधेरी दुनिया...

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