सीकर. राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना में यदि पात्र को रोजगार नहीं मिल पाता है, तो वह बेरोजगारी भत्ते का हकदार है। सरकार ने यह सुविधा मुहैया तो करा दी, लेकिन इसका फायदा उठाने वाला एक भी नहीं है। जिला परिषद में अब तक बेरोजगारी भत्ते के लिए किसी ने आवेदन नहीं कर रखा है। उल्लेखनीय है कि महानरेगा योजना में आवेदक को तय सीमा में रोजगार नहीं दिए जाने की स्थिति में पात्र व्यक्ति...
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तीन सियासतों के बीच में फंसा एक बुंदेलखंड
नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के एक दर्जन से अधिक जिलों में फैला बुंदेलखंड एक क्षेत्र है। पूरा इलाका गरीबी, बेरोजगारी, पलायन, सूखा, अकाल जैसी समस्याओं से भी समान रूप से जूझ रहा है। लेकिन इस क्षेत्र को इन समस्याओं से मुक्ति देने की कोशिश करने के बजाय सियासी सूरमा अपनी-अपनी सियासत चमकाने में लगे हैं। सियासत भी एक तरफा नहीं बल्कि तीन तरफा। यकीन नहीं तो उत्तर प्रदेश के...
More »धरती कहे पुकार के
ढ़ती हुई कीमतें उस आपदा का सिर्फ एक संकेत हैं, जिससे खेती जूझ रही है. दरअसल भारतीय कृषि क्षेत्र बुरी तरह से चरमरा रहा है. संकट से पार पाने के लिए नजरिए में बड़े बदलावों की जरूरत है. लेकिन कृषि मंत्री शरद पवार आपदा की इस आहट को सुनने के लिए तैयार नहीं. अजित साही और राना अय्यूब की रिपोर्ट सरकारी नीतियों से लेकर अखबार की सुर्खियों तक तरजीह पाने वाली...
More »तीन हजार लो और उठाओ बंदूक
लाल आतंक भारत के लिए एक बड़ा चैलेंज बनता जा रहा है। अब यह आतंक और भी घातक रूप ले सकता है क्योंकि इसकी नजर देश के युवाओं पर पड़ चुकी है। जी हां, अगर नक्सलियों की प्लानिंग कारगर साबित हुई तो ऐसा हो सकता है। माओवाद से प्रभावित देश के दूर-दराज के इलाकों में नक्सलियों ने अपना नेटवर्क बढ़ाने के लिए एक अनोखी रणनीति तैयार की है। इसके मुताबिक नक्सलियों ने अंदरूनी इलाकों में युवाओं...
More »बेरोजगारी निगल गई 350 बरस पुराना गांव
शामली [मुजफ्फरनगर, राजपाल पारवा], मैं हूं गांव कोठड़ा..। एक समय मेरी आबादी 500 के करीब थी। रोजगार के अभाव में दो साल पूर्व मेरा अस्तित्व समाप्त हो गया। शेष रह गया तो सिर्फ 350 वर्षो का इतिहास। ..लेकिन आज भी मेरे बरगद की शीतल छांव में मुसाफिर अपनी थकान मिटाते हैं। सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल पीर आज भी मेरे वजूद का गवाह है। अगर नहीं हैं तो यहां के बाशिंदे। मेरठ-करनाल...
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