नीति आयोग ने हाल ही में सार्वजनिक चिकित्सा क्षेत्र के खर्चे में कटौती करने को कहा है। आयोग ने इस क्षेत्र में हो रहे निवेश पर काबू पाने और सार्वजनिक स्वास्थ्य सुविधा के तहत लोगों को नि:शुल्क मिल रही दवाइयों व अन्य सेवाओं को नियंत्रित करने की भी अनुशंसा की है। इसके अलावा आयोग स्वास्थ्य के क्षेत्र में निजी क्षेत्र के निवेशकों तथा बीमा कंपनियों को मुख्य भूमिका में लाने...
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किताबें तो अब भी काम की हैं- चंद्रशेखर तिवारी
ज्ञान को सर्वसुलभ बनाने में पुस्तकालय से बेहतर दूसरा विकल्प शायद ही हो सकता है। इसी बात को ध्यान में रखकर वर्ष 2005 में गठित भारतीय ज्ञान आयोग की पहल पर देश में एक स्वायत्त राष्ट्रीय पुस्तकालय आयोग की स्थापना की गई। इस आयोग की देखरेख में पुस्तकालयों के विकास, संरक्षण व संवर्धन की दिशा में कार्य किया जा रहा है। वर्तमान में देश में सार्वजनिक पुस्तकालयों के चार स्तर...
More »गर्म हवाओं के खतरे से अब तो चेत जाएं - मिहिर आर. भट्ट
दुनिया के इतिहास में यह पांचवीं सबसे जानलेवा लू है, जिसका सामना हम इन दिनों कर रहे हैं। 2200 से ज्यादा लोगों की अब तक यह जान ले चुकी है। क्या हमें और मौतों का इंतजार है, जिसके बाद ही हम लू के खतरे का सामना करने के लिए कोई राष्ट्रीय नीति बनाएंगे? ध्यान रहे कि पिछले कुछ दिनों में गर्म हवा के थपेड़ों से जितने लोगों की मौतें हुई...
More »मोदी सरकार के 1 साल( विशेष आलेख, आलेख प्रभात खबर)
पिछले आम चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी का एक प्रमुख नारा था- ‘सबका साथ-सबका विकास'. अपने इस वादे पर अमल करते हुए सरकार ने पिछले एक साल में आम आदमी की समृद्धि और उन्हें आर्थिक सुरक्षा मुहैया कराने के उद्देश्य से कई नयी योजनाएं शुरू कीं. कुछ पिछली योजनाओं में भी तब्दीली करते हुए उन्हें नये नाम और प्रारूप में शुरू किया गया. जन-धन, बीमा और पेंशन आदि से जुड़ी...
More »गुजरात : क्या वोट नहीं देने वालों को होगी जेल?
गुजरात देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां स्थानीय निकाय चुनाव में मतदान को अनिवार्य किया गया है। प्रदेश सरकार भले ही इसे लोकतंत्र की मजबूती के लिए उठाया गया कदम करार दे, लेकिन नागरिकों के मूल अधिकारों का हवाला देते हुए इस विधेयक की आलोचना भी की जा रही है। गुजरात स्थानीय प्राधिकरण (संशोधन) विधेयक को नरेंद्र मोदी का सपना बताया जाता है। मुख्यमंत्री रहते उन्होंने कहा था...
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