[inside] इंडिया में आर्थिक असमानता: “अरबपति राज” में ब्रिटिश राज से भी ज्यादा है असमानता - रिपोर्ट [/inside] इंडिया के भौगोलिक आकार और जनसंख्या, जो अब दुनिया में सबसे अधिक है, को देखते हुए इंडिया में आर्थिक विकास का वितरण विश्व की आर्थिक असमानता पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालता है। इसलिए इंडिया में आय और संपत्ति की असमानता को सटीक रूप से मापना अत्यधिक आवश्यक है। हाल ही में वर्ल्ड इनइक्वलिटी डाटाबेस ने...
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इमली केक बना ओडिशा की आदिवासी महिलाओं की कमाई का जरिया
गाँव कनेक्शन, 30 जुलाई ओडिशा के रायगड़ा जिले के बिसामकटक ब्लॉक की आदिवासी मानसी गोमंगा की जिंदगी पहले खाना बनाने और अपने बच्चों की देखभाल करने तक ही सीमित थी, लेकिन जब से उसने इमली से केक बनाना शुरू किया है, तब से उन्हें अपने काम में गर्व महसूस होता है। "जब से मैंने इमली के केक बनाकर अपने परिवार की कम कमाई में योगदान देना शुरू किया है, मैं अपने...
More »बहुविवाह मुसलिमों में ही नहीं, हिंदुओं में भी; आदिवासियों में तो आम बात!
सत्य हिन्दी, 28 जुलाई सोशल मीडिया पर अक्सर एक से ज़्यादा पत्नी रखने के लिए मुसलिमों को निशाना बनाया जाता रहा है, लेकिन क्या सिर्फ़ मुसलिम ही बहुविवाह करते हैं? उन समुदायों के बारे में क्या जिसमें ऐसी शादियाँ आम बात है? आप यह जानकर चौंक जाएँगे कि मुसलिमों से कहीं ज़्यादा बहुविवाह आदिवासी बहुल राज्यों में होता है। ऐसा तब है जब बहुविवाह या एक से अधिक पत्नी रखने की प्रथा...
More »छत्तीसगढ़ विधानसभा में सर्वसम्मति से पारित हुए दो संकल्प, क्या हैं इसके मायने
डाउन टूअर्थ, 27 जुलाई बीते रोज यानी 26 जुलाई 2022 को छत्तीसगढ़ विधानसभा की कार्यवाही कई मायनों में उल्लेखनीय रही। इस दिन जिस सक्रियता से राज्य के जंगलों, आदिवासी समुदायों, प्रकृति और उनके संरक्षण पर पक्ष और विपक्ष के सभी सदस्यों ने बहस में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया, उसकी सराहना की जानी चाहिए। केवल हसदेव अरण्य से जुड़े हुए करीब 20 प्रश्नों पर चर्चा हुई। इसी दिन विधानसभा ने दो महत्वपूर्ण संकल्प भी...
More »सात साल में कितना बदला देश में पहले हैबिटेट राइट्स वाला बैगाचक?
मोंगाबे हिंदी, 14 जुलाई देश में पहली बार 2015 में मध्यप्रदेश के बैगाचक के सात गांवों में वन अधिकार क़ानून के अंतर्गत पर्यावास अधिकार यानी हैबिटेट राइट्स दिए गये थे। लेकिन इस इलाके के लोगों को अब भी इसका ठीक-ठीक मतलब नहीं पता है। जिन सात गांवों को हैबिटेट राइट्स दिए गए थे, आज तक उनका एक प्रामाणिक नक्शा तक नहीं बन पाया है। देश में हैबिटेट राइटस से संबंधित दिशा-निर्देश के लिए...
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