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मीडिया चालित समाज में लोकतंत्र- विपुल मुद्गल

हमने चर्चित कारपोरेट पीआर बॉस नीरा राडिया, मीडिया की नामवर हस्तियों और राजनीति के दिग्गजों की टेलीफोन की बातचीत के लीक हुए टेपों में जो कुछ सुना है वह एक मीडिया-चालित(मीडिया-आइज्ड) राजनीति की सटीक तस्वीर पेश करता है। इस प्रकरण से पता चलता है कि किस तरह से पेशेवर संवादकर्मी (प्रोफेशनल कम्युनिकेटर्स) महत्वपूर्ण नीतियों के मामलों में जनता की समझ को गढते या परिचालित करते हैं। निसंदेह...

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सुप्रीम कोर्ट ने सुनाए समाज और लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले फैसले

नई दिल्ली। यह साल न्यायिक संक्रांति के लिए भी याद किया जाएगा। देश की शीर्ष अदालत ने समाज और हमारे लोकतंत्र को प्रभावित करने वाले कई अहम फैसले इस साल सुनाए। जेल में बंद लोगों के निर्वाचित प्रतिनिधि बनने और दो साल से अधिक की सजा पाने वाले सांसदों-विधायकों को सदन की सदस्यता के अयोग्य करार देने जैसे चुनाव सुधारों पर ऐतिहासिक फैसलों, ‘पिंजरे में बंद’ सीबीआइ की स्वायत्तता की गुहार...

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नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक

निमंत्रण नये भूमिअधिग्रहण कानून, जनआंदोलन और उनकी राजनीति का असर पर दो दिवसीय बैठक नवंबर 19-20-2013 9ः30 प्रातः से सांय 6ः00 बजे तक, गांधी शांति प्रतिष्ठान, दीन दयाल उपाध्याय मार्ग, नई दिल्ली प्रिय साथियों, जिंदाबाद जनआंदोलनांे के बरसों चले लम्बे संघर्ष के बाद देश में औपनिवेशिक भूमि अधिग्रहण कानून, 1894 के स्थान  पर ‘‘उचित मुआवजे का अधिकार, भूमिअधिग्रहण में पारदर्शिता, पुनर्वास और पुर्नस्थापना कानून, 2013‘‘ आया है। आम चुनाव व विधानसभा चुनाव कई राज्यों में होने वाले...

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भारतीय लोकोपकार

“रिवीलिंग इंडियन फिलैंथ्रोपी” पढ़ने के बाद, फ्रांसेस्को ओबिनो का सवाल है कि क्या भारत में लोकोपकार(फिलैंथ्रोपी) समतामूलक तथा टिकाऊ विकास में मददगार हो सकता है । भारत में घरेलू लोकोपकार की बढ़ती हुई क्षमता आशा जगाती है। भारतीय करोड़पतियों की संख्या 2012 में एक लाख तिरपन हजार (यूएस डॉलर के आधार पर) थी और अनुमानों के मुताबिक साल 2017 तक यह संख्या दो लाख बयालीस हजार तक पहुंच जायेगी जो अपने...

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भारतीय कंपनियों के बार्डरुम में दलित कहां हैं?

सोचकर बताइए कि स्टॉक-एक्सचेंज में सूचीबद्ध भारत की निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की बड़ी कंपनियों के बोर्डरुम में दलित या फिर आदिवासी समुदाय के व्यक्ति कितने फीसदी होंगे ? हैरतअंगेज चाहे जितना लगे लेकिन आंकड़ा कहता है लगभग ना के बराबर यानि शून्य। डी अजित, हान डोनकर और रवि सक्सेना द्वारा किए एक अध्ययन का खुलासा है कि एक ऐसे वक्त में जब जातीय और नस्ली गैरबराबरी के मुद्दे पूरी...

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