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सुखाड़ से फसलें हुई प्रभावित, झारखंड के 18 लाख कृषकों पर 9,892 करोड़ का लोन, किसानों को मदद की आस

रांची : झारखंड के करीब 18 लाख किसानों ने फसल के लिए ऋण ले रखा है. बैंकों के आंकड़े के अनुसार, इन किसानों पर करीब 9892 करोड़ रुपये का ऋण है. राज्य में करीब 23 लाख किसान होने के दावा सरकार कर रही है. वैसे किसानों पर 13 हजार का करोड़ कृषि ऋण है. पर इसमें वैसे लोग भी हैं, जिन्हाेंने कृषि व उससे जुड़े कार्यों के लिए...

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बंगालः किसानों पर ‘ममता’, जीवन बीमा और वित्तीय सहायता देगी सरकार

कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नए साल से पहले किसानों को लुभाने के लिए सोमवार को यहां राज्य के किसानों के लिए 5,000 रुपये प्रति एकड़ की वार्षिक वित्तीय सहायता की घोषणा की. बनर्जी ने कृषक बंधु नामक एक राज्य-प्रायोजित योजना के तहत 18 से 60 वर्ष उम्र के राज्य के हर किसान के लिए दो लाख रुपये की जीवन बीमा की भी घोषणा की. यह योजना...

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सियासी दलों पर किसानों का कर्ज-- गोपालकृष्ण गांधी

मेरा यह कहना उन्हें पसंद नहीं आएगा। सच यह है कि मैं कहने की कोशिश भी करूंगा, तो वह जबरन इनकार कर देंगे। फिर भी, यदि मुझे कहने का मौका मिलेगा, तो वह मुझे टोकेंगे और कहने से रोक देंगे। लेकिन मुझे तो अपनी बात कहनी ही है। पालागुम्मि साईनाथ ने वह कर दिखाया, जो कोई दूसरा नहीं कर सका। किसी ने ऐसा करने की अभी तक कोशिश भी नहीं की...

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कृषि व्यवस्था दुरुस्त करना जरूरी-- वरुण गांधी

कुछ महीने पहले 30,000 से ज्यादा किसानों ने एक लाख रुपये प्रति एकड़ की पूरी कृषि ऋण माफी के साथ 50,000 रुपये सूखा मुआवजे की मांग को लेकर ठाणे से मुंबई तक मार्च किया. इस समय नासिक और मराठवाड़ा जिले के अलग-अलग हिस्सों में कई गांवों को पानी की कमी (औसतन 30 फीसद) का सामना करना पड़ रहा है, जबकि यहां के किसान पहले से ही कम फायदेमंद खरीफ फसलों...

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किसान आंदोलन का नया स्वरूप- मणीन्द्र नाथ ठाकुर

किसानों के प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया है कि खेती किसानी में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है. यह तो तय है कि जैसे-जैसे उत्पादन में उद्योग धंधे और पूंजी का महत्व बढ़ता जायेगा, वैसे-वैसे किसानों की हालत बिगड़ती जायेगी. दुनियाभर के पूंजीवादी देशों को देखकर लगता है कि बिना सरकारी सहायता के किसानों की हालत अच्छी नहीं हो सकती है. भारत में पूंजीवाद के बढ़ते कदम...

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