क्या आप जानते हैं कि अबतक कितने पत्रकारों की जान कोविड महामारी के कारण जा चुकी है? स्विट्जरलैंड की मीडिया अधिकार और सुरक्षा से जुड़ी संस्थाय प्रेस एम्बलम कैम्पेन (PEC) ने कोरोना वायरस के चलते पत्रकारों की हुई मौत पर दुख जताते हुए एक बयान जारी किया है और बताया है कि दुनिया भर में हजार से ज्यादा पत्रकार कोरोना वायरस का शिकार हो चुके हैं और कुल 75 देशों...
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प्रवासी मजदूर एक बार फिर मुसीबत में फंसे
-प्रेस विज्ञप्ति 5 मई 2021, कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर में मृतकों की संख्या और संक्रमण की दर खतरनाक रूप से उच्च होने के कारण देश के कई हिस्सों में तालेबंदी और अन्य प्रतिबंध लगाए गए हैं। भले ही एक राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन की घोषणा नहीं की गई है, फिर भी सैर-आवश्यक आर्थिक गतिविधियों में और अधिक कटौती की मांग के साथ काम गंभीर रूप से बाधित हो गया है। परिणामी संकट...
More »"हम मानवता के ख़िलाफ़ अपराधों के गवाह बन रहे हैं"
-न्यूजलॉन्ड्री, उत्तर प्रदेश में 2017 में सांप्रदायिक रूप से एक बहुत ही बंटे हुए चुनावी अभियान के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब मैदान में उतरे तो हालात की उत्तेजना और बढ़ गई. एक सार्वजनिक मंच से उन्होंने राज्य सरकार पर - जो एक विपक्षी दल के हाथ में थी - आरोप लगाया कि वह श्मशानों की तुलना में कब्रिस्तानों पर अधिक खर्च करके मुसलमानों को खुश कर रही है....
More »मई दिवस- मोदी सरकार ने कैसे भारत को एक भयानक संकट के बीच लाकर खड़ा कर दिया
-द प्रिंट, 1 मई को प्रकाशित इस स्तंभ का शीर्षक बिल्कुल संयोग से ऐसा बन गया है. यहां शब्दों का कोई खेल करने का इरादा नहीं है. बदकिस्मती से भारत आज जिस संकट में फंस गया है उसका बयान इसी तरह किया जा सकता है. वह ऑक्सीजन से लेकर एन-95 मास्क तक और ऑक्सीमीटर से लेकर वैक्सीन तक तमाम चीजों के लिए बड़े देशों से मदद मांग रहा है. और ये...
More »आपदा के मददगार: कोरोना के खौफ से अपने भी जिन शवों को हाथ नहीं लगाते, ये उनका अंतिम संस्कार करते हैं
-गांव कनेक्शन, "यहां कोविड-19 के हालात बहुत खराब हैं। उद्गीर जैसे छोटे से शहर में रोजाना 10-20 लोगों की मौत होती है। कोरोना का इतना खौफ है कि अक्सर परिवार वाले डेड बॉडी को हाथ नहीं लगाते। शहर तो दूर गांव में ऐसे ही हालात हैं, फिर हम लोग उनका अंतिम संस्कार करते हैं। इस साल अब तक 140 लोगों का अंतिम संस्कार किया है।" गौस शेख ने गांव कनेक्शन को...
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