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मनरेगा :4 राज्यों और 2 संघशासित प्रदेशों में नहीं बढ़ी मजदूरी! कहीं 1 रुपये तो कहीं 2 रुपये की बढ़ोत्तरी !

सबकुछ बदलने के बाद भी आखिर वह क्या जो नहीं बदलता ? दार्शनिक मिजाज के इस सवाल का एकदम ही व्यावहारिक सा जवाब हो सकता है- मनरेगा की मजदूरी!  बात तनिक बुझौवल सी लगी तो इन तथ्यों पर गौर करें: साल 2019-20 के लिए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी एक्ट के तहत दिहाड़ी मजदूरी की दर की अधिसूचना 26 मार्च को जारी हुई. अधिसूचना से जाहिर होता है कि गोवा(254रुपये), कर्नाटक(249 रुपये), केरल(271रुपये) तथा...

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45 परिवारों की जिंदगी झोपड़ी में, 55 वर्षों में न अनाज मिला

रामगढ़ शहर से 15 किलोमीटर दूर कुजू-घाटो मुख्य सड़क से उतरने पर बमुश्किल 200 मीटर दूर कुंदरिया बस्ती का मल्हार टोला़ इस टोले तक जाने के लिए पथरीली संकरी सड़क, जंगल के बीच एक ऊंचे टीले पर प्लास्टिक से बनी दर्जनों झोपड़िया़ं जंगल की सूखी झाड़ियों की घेराबंदी कर बांस-बल्ली में प्लास्टिक लगा कर लाेगाें ने 40 से 50 झोपड़ी बना लिये़ ये कोई खानाबदोश नहीं, बल्कि अपने झारखंड...

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बदल रही है परहिया समुदाय की जिंदगी

लातेहार जिला मुख्यालय से करीब 35 किलोमीटर औरंगा नदी के किनारे स्थित है उचुवाबाल. यह मनिका प्रखंड की रॉकी कलां पंचायत के लंका गांव का टोला है. इस टोले में परहिया समुदाय के 80 परिवार हैं. उनकी जीविका का एकमात्र जरिया हैं जंगल की उपज. इन वनोत्पादों को एकत्र करना और उन्हें बाजार में बेचना यही उनके आर्थिक जीवन का आधार है. इसके अलावा उच्च जाति के लोगाों के...

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मनरेगा: चार सालों में रोजगार देने में त्रिपुरा सबसे अव्वल, यूपी-बिहार बहुत पीछे

यूपी-बिहार और पंजाब-हरियाणा जैसे कई राज्यों को मनरेगा के कारगर क्रियान्वयन के मामले में त्रिपुरा से सबक लेने की जरुरत है. त्रिपुरा में बीते चार सालों (2014-15 से 2017-18) में मनरेगा के अंतर्गत ग्रामीण मजदूरों को औसतन लगभग 75 दिनों का रोजगार मिला जबकि इस अवधि में योजना के अंतर्गत रोजगार का अखिल भारतीय औसत महज 45.2 दिनों का रहा.   रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया(आरबीआई) की सालाना रिपोर्ट के नये आंकड़े संकेत करते...

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पचास रुपए दिन की मजदूरी करने वाला झारखंड का ये किसान अब साल में कमाता है 50 लाख रुपए

रांची(झारखंड)। किसान गंसू महतो एक समय 50 रुपए दिहाड़ी की मजदूरी के लिए घर से 25 किलोमीटर दूर जाते थे, लेकिन अपनी सूझबूझ से इन्होंने अपनी 9 एकड़ जमीन को बंजर से उपजाऊ बनाया और अब सालाना 50 लाख रुपए की आमदनी ले रहे हैं।किसान गंसू महतो (40 वर्ष) ने बताया, "पिछले साल एक एकड़ खेत में जलबेरा के फूल 35 लाख रुपए के बेचे और 8 एकड़ खेत की...

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