-न्यूजक्लिक, जब 7 मई की रात को यह लेख लिखा जाने लगा कि किस तरह वर्तमान में कोरोना संकट के दौर में पूँजीवाद का घिनौना चेहरा बेनकाब हो रहा है और प्रवासी मज़दूर बंधुआ मज़दूरों में बदल रहें है तो लिखते लिखते घर लौटते हुए प्रवासी मजूरों की मृत्यु के आंकड़े खोजने के चक्कर में यह अधूरा रह गया। फिर सोचा कि लेख अगले दिन पूरा होगा परन्तु जब सुबह हुई...
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यह बात बारहा सामने आई है कि कोरोना जैसी किसी भी महामारी से सर्वाधिक मौतें भारत में होंगी
-न्यूजलॉन्ड्री, इंडियन जर्नल फ़ॉर मेडिकल रीसर्च के मार्च 2018 के संस्करण में ललित कांत और उनके सहकर्मी रणदीप गुलेरिया ने एक लेख लिखा था. इसका शीर्षक था “पैंडेमिक फ़्लू 1918: आफ़्टर हंड्रेड ईयर इंडिया इज़ ऐज़ वल्नरेबल.” इस लेख का मुख्य बिंदु था कि हिंदुस्तान की स्वास्थ्य सेवाओं की जैसी जर्जर हालत है उसे देखते हुए अगर स्पैनिश इनफ़्लुएंज़ा जैसी कोई भी महामारी दुनियां में फैलती है तो विश्व में सर्वाधिक...
More »विषमता का विकास
पिछले कई सालों से एक जो नारा सबसे ज्यादा प्रचारित रहा है वह है ‘सबका साथ सबका विकास’! चूंकि खुद भाजपा सरकार की ओर से यह नारा सबसे ज्यादा प्रचारित किया गया है, इसलिए कायदे से अपेक्षा यह थी कि देश के सभी तबकों के लोगों को विकास के तमाम अवसरों में बराबर की सहभागिता मिलती और इस तरह विकास ज्यादा समावेशी होता। लेकिन यह बेहद निराशाजनक तस्वीर है कि...
More »उदारीकरण के बाद बनीं आर्थिक नीतियों से ग़रीब और अमीर के बीच की खाई बढ़ती गई- सचिन कुमार जैन
विकास की पूरी बहस आर्थिक विकास के इर्द-गिर्द सीमित हो गई है. आख़िर इस आर्थिक विकास ने हमें एक ऐसी चमक दी है, जो हमारी आंखों में पड़ती है और फिर हमें असमानता दिखाई देना बंद हो जाती है. वर्तमान विकास मिथ्या सकारात्मकता का सबसे ज़्यादा निर्माण करती है. वर्ष 2018 की फोर्ब्स की रिपोर्ट (जो केवल दुनिया के अमीरों के काम, जीवन शैली और कमाई पर अध्ययन-प्रकाशन करती है) के...
More »देश के उच्च जाति के हिंदू सबसे अमीर, कुल संपत्ति के 41% के मालिक: रिपोर्ट
नई दिल्ली: भारत में जाति अब भी व्यक्ति के जीवन में अहम किरदार निभा रही है और शिक्षा, व्यवसाय, आय और संपत्ति जैसे महत्वपूर्ण पहलू जाति के आधार पर निर्धारित हो रहे हैं. देश में हिंदू समुदाय की उच्च जातियों के 22.3 प्रतिशत लोगों के पास देश की कुल संपत्ति का 41 प्रतिशत है और यही लोग सबसे धनाढ्य समूह बनाते हैं. वहीं देश की संपत्ति का केवल 3.7 प्रतिशत हिस्सा...
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