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भाषाई मानवाधिकार का मसला - लाल्टू

मराठी साहित्य में अपने योगदान के लिए इस साल ज्ञानपीठ पुरस्कार पाने वाले भालचंद्र नेमाड़े ने कहा है कि अंगरेजी की वजह से भारतीय भाषाएं खत्म हो रही हैं। वे इससे भी आगे बढ़ कर यहां तक कह गए हैं कि हमें अंगरेजी को हटाने के लिए प्रभावी कदम उठाने चाहिए। सलमान रुश्दी और सर विदिया नायपॉल का जिक्र करते हुए नेमाड़े ने कहा कि भारतीय भाषाओं में जो लिखा...

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दो अतियों के बीच स्वास्थ्य सेवा- अतुल गवांडे

हार्वर्ड मेडिकल स्कूल में मेडिसिन के प्रोफेसर अतुल गवांडे, जो एक सर्जन होने के साथ-साथ लेखक, विचारक और राजनीतिक विश्लेषक भी हैं, ने बीबीसी रीथ लेक्चर्स के तहत 2014 में चिकित्सा का भविष्य पर चार भाषण दिये. आज हम चौथा लेक्चर प्रकाशित कर रहे हैं, जो उन्होंने दिल्ली में दिया. इसका विषय था-‘द आइडिया ऑफ वेलबीइंग' (अच्छी सेहत की परिकल्पना). इसमें उन्होंने बताया कि एक तरफ लोगों की चिकित्सा तक...

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कब तक गिरेंगे कच्चे तेल के दाम- जॉय नोसेरा

छह वर्ष पहले तेल के मूल्यों में अप्रत्याशित उतार-चढ़ाव देखा गया था। जनवरी, 2008 में कच्चे तेल की कीमत 90 डॉलर प्रति बैरल थी, जो जुलाई में बढ़कर 147 डॉलर प्रति बैरल हो गई। फिर वर्ष के अंत में यह 35 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई। सऊदी अरब और पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) के अन्य सदस्य तेल की कीमतों में ऐसा उतार-चढ़ाव पसंद नहीं करते। पर 2015...

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जिलाधीश नहीं बाबू उमराव तो जलाधीश हैं- स्वतंत्र मिश्र

उत्तर प्रदेश के कानपुर के पास ही किसी गांव में जन्मे उमाकांत उमराव ने मध्य प्रदेश के देवास में जिलाधीश के पद पर लगभग डेढ़ साल की एक छोटी सी अवधि में यहां की पारंपरिक तालाब संस्कृति को अपने बूते जिंदा कर दिखाया जिसकी वजह से यहां के बच्चे-बूढ़े, औरतें सभी उनके दीवाने हो गए और उन्हें श्रद्धा से भरकर जलाधीश (जल देवता) कहकर पुकारने लगे। मालवा क्षेत्र के सबसे सूखे...

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हुदहुद की तबाही में भी बचा रह गया ये गांव- संदीप साहू

समुद्र के किनारे रहने वाले मछुआरे तूफान की तीव्रता भांपने के लिए मौसम विभाग के पूर्वानुमान पर नहीं, बल्कि अपने पारंपरिक ज्ञान पर भरोसा करते हैं। ओडिशा के गंजम जिले के पोडंपेटा गांव के लोगों को अपने इस ज्ञान पर इतना भरोसा है कि एक हफ्ते पहले से समुद्री तूफान 'हुदहुद' की चेतावनी के बावजूद लगभग 2000 लोगों के इस गांव का एक भी आदमी गांव छोड़कर कहीं नहीं गया। लेकिन ठीक...

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