इसमें कोई संदेह नहीं कि मनरेगा के कारण गरीबों को बड़ी राहत मिली है। मनरेगा के लागू होने के बाद दो वर्षों के अंदर खेत मजदूरों की दिहाड़ी 120 रुपए से बढ़कर 250 हो गई थी। बिहार के श्रमिकों ने पंजाब जाना कम कर दिया था, क्योंकि उन्हें घर के पास रोजगार मिल रहा था, चाहे वह सीमित मात्रा में ही क्यों न हो। इस कार्यक्रम पर अब केंद्र सरकार...
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डीजल की कीमतों में छिपी गुत्थियां - परंजॉय गुहा ठाकुरता
कि अपेक्षा थी, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने देश में सर्वाधिक उपयोग किए जाने वाले पेट्रोलियम उत्पाद डीजल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने का निर्णय ले लिया। कच्चे तेल की वैश्विक कीमतों में जो अप्रत्याशित गिरावट आई, उससे उत्साहित होकर ही सरकार डीजल की कीमतों में कटौती करने का निर्णय ले सकी है। किंतु डीजल की कीमतों को नियंत्रणमुक्त करने के अपने...
More »राजनीतिक विमर्श और जन-स्वास्थ्य- नीकी नैनसी
जनसत्ता 9 मई, 2014 : सोलहवीं लोकसभा के चुनाव अपने आखिरी चरण में हैं, लेकिन अभी तक किसी पार्टी ने सामाजिक विकास को लेकर कोई ठोस बहस या तथ्य पर आधारित चर्चा करने की जरूरत नहीं समझी है। किसी भी पार्टी का घोषणापत्र उठा लें, एक बात पर सभी अपना दावा करते नजर आएंगे- आर्थिक और समेकित विकास। इन भारी-भरकम शब्दों के इस्तेमाल में आपको कोई कटौती नहीं मिलेगी, चाहे...
More »फायदा या नुकसान: घरेलू बचत का सिकुड़ता दायरा चिंताजनक
आघात - केंद्र ने अप्रैल 2013 से डाकघर बचत तथा पब्लिक प्रॉविडेंट फंड जैसी बचत योजनाओं में देय ब्याज में 0.10 फीसदी कर दी। हाल ही कर्मचारी भविष्य निधि फंड में 0.25 की वृद्धि की गई है जो निम्न और मध्यवर्गीय नौकरीपेशा वर्ग के लिए मामूली राहत वाली बात कही जा सकती है। भारतीय समाज के ये दो वर्ग ऐसे होते हैं...
More »असमानता तोड़ देगी देश को- डा. भरत झुनझुनवाला
बढ़ती असमानता समाज के लिए हानिकारक होने के साथ-साथ आर्थिक विकास के लिए भी हानिप्रद है. आम नागरिक जब अमीर को कोसता है, तो उसकी आंतरिक ऊर्जा नकारात्मक हो जाती है. वह हिंसक प्रवृत्ति का हो जाता है. चुनाव के इस माहौल में सभी पार्टियां गरीबों को लुभाने में लगी हुई हैं. कांग्रेस का कहना है कि उसने मनरेगा और खाद्य सुरक्षा लागू करके गरीबों को राहत पहुंचायी है. भाजपा...
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