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निमाड़ को भी चाहिए 'सत्यार्थी' और 'मलाला'

विवेक वर्द्धन श्रीवास्तव, खरगोन। सुमित। उम्र-14 साल। काम- बस स्टैंड की एक होटल में टेबल पर पोंछा लगाना। दिनेश। उम्र-12 साल। काम- नगर पालिका क्षेत्र में चाय की गुमटी पर ग्लास धोना। सुबह साढ़े 7 बजे से रात्रि 8 बजे तक इन्‍हें फुरसत नहीं। उधर रोली शहर के पॉश इलाके में घर-घर जाती है। उम्र-13 साल। यह अपनी मां के साथ झाड़ू-पोंछा, बर्तन साफ करने में हाथ बटाती है। ये तीन...

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नसबंदी कांड की कड़ियां- कनक तिवारी

जनसत्ता 17 नवंबर, 2014: बिलासपुर नसबंदी कांड राज्यतंत्र की क्रूरता का बेहद घिनौना उदाहरण है। केंद्र प्रवर्तित और राज्य पोषित नसबंदी कार्यक्रम को लागू करने में इतनी लोकविधर्मी विसंगतियां हैं। पर इन्हें सरकारी अहंकार समझना ही नहीं चाहता। जनसंख्या-वृद्धि पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय शासन ने बरसों से अंतरराष्ट्रीय स्थितियों, समझौतों और समझाइशों के तहत नीतियां बनाने का प्रयत्न किया है। शासन और भद्रलोक के उपचेतन में इस मुगालते...

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2 महीने पहले पता चल जाएगा कम हो रहा बच्चे का वजन

ग्वालियर (ब्यूरो)। आंगनवाड़ी आने वाले यदि किसी भी बच्चे का वजन कम होता है या वह कुपोषण का शिकार हो रहा है तो इसकी जानकारी अब अधिकारियों तक तत्काल पहुंचेगी। ग्वालियर संभाग में महिला एवं बाल विकास विभाग ने एक ऐसा सॉफ्वेयर तैयार किया है, जिसमें ऐसे बच्चों की जानकारी ब्लॉक स्तर पर फीड की जाएगी। सॉफ्टवेयर की मदद से किसी भी आंगनवाड़ी के बच्चे का वजन कम होता है या...

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...तो नामी प्राइवेट स्कूलों में पढेंगे गरीबों के बच्चे- शैलेन्द्र श्रीवास्तव

गरीबों के बच्चों का नामी-गिरामी प्राइवेट स्कूलों में पढ़ने का सपना अब साकार हो सकेगा। राज्य सरकार प्राइवेट स्कूल की 25 फीसदी सीटों पर ऐसे बच्चों को दाखिला देने के लिए पूर्व में तय मानकों में बदलाव की तैयारी कर रही है। अगले सत्र के लिए दाखिले से पहले संशोधित आदेश जारी कर दिया जाएगा। प्रारंभिक रूप से निजी स्कूलों में दाखिले के लिए सरकारी स्कूलों से प्रमाण पत्र लेने की...

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खस्ताहाल स्कूली शिक्षा से संकट में छात्रों का भविष्य

इंदौर के पास स्थित देपालपुर में स्कूली शिक्षा के नाम पर सरकारी खानापूर्ति सामने आई है। इस विकासखंड में ऐसे कई स्कूल हैं, जो एक ही शिक्षक के भरोसे चल रहे हैं। यह खबर एक तरह से पूरे देश की निराशाजनक तस्वीर पेश करती है। 12 लाख शिक्षकों की कमी है देशभर में 50 प्रतिशत स्कूलों साफ पीने की सुविधा नहीं ...

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