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घर तक आयी गंगा, तो उड़ गयी शहर की नींद

पटना : गोलघर से दीघा तक गंगा की धार को राजधानी की सड़क से दूर रखने के लिए वर्षों पहले सुरक्षा बांध का निर्माण किया गया था. लेकिन, आज गंगा की पेटी यानी बांध के भीतर में हजारों घर बन गये हैं. इसमें एक बड़ी आबादी रह रही है, जो कि गंगा के बढ़े जल स्तर से डरी-सहमी है. रात के अंधेरे में गंगा नदी का डरावना तेज बहाव इनको...

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देश में कुपोषण की कड़िया--- श्रीशचंद्र मिश्र

ओड़िशा के जाजपुर जिले के एक छोटे-से आदिवासी बहुल गांव में इस साल मार्च से जून के बीच कुपोषण से बारह बच्चों की मौत हो गई। पौने तीन सौ की आबादी वाले इस गांव में पांच से बारह साल के तिरासी बच्चों में एक तिहाई से ज्यादा का कुपोषित होना एक बड़े खतरे की तरफ संकेत करता है। यह तस्वीर का सिर्फ एक पहलू है। असल स्थिति क्या है, इसका...

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आसान नहीं इरोम की राह- अमरनाथ सिंह

अनशन तोड़ने से मानवाधिकार कार्यकर्ता इरोम चानू शर्मिला की आगे की राह आसान नहीं होगी। लेकिन यह भी सच है कि आखिर सोलह साल तक लगातार भूख हड़ताल करने पर भी उनकी एकसूत्री मांग पूरी नहीं हो पाई, अफस्पा (सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून) नहीं हट पाया। लंबे समय तक भूख हड़ताल से इरोम का शरीर जरूर कमजोर हुआ है लेकिन कठिनाइयों व चुनौतियों का सामना करने की उनकी आंतरिक...

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शहरीकरण की विसंगतियां--- रमेश कुमार दूबे

शहरीकरण को लेकर सरकार का नजरिया यह है कि इस पर सियापा करने के बजाय इसे मौके के रूप में देखा जाना चाहिए। उसके मुताबिक शहरों में गरीबी दूर करने की ताकत होती है और हमें इस ताकत को और आगे बढ़ाना चाहिए ताकि आर्थिक समृद्धि का स्वत: प्रसार हो। सुख-सुविधाओं की मौजूदगी के चलते शहर सदा से मनुष्य के आकर्षण के केंद्र रहे हैं। आज की तारीख में तो ये...

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बुंदेलखंड: न चारा, न पानी, जानवर बेच रहे हैं किसान

सूखे से झुलस रहे बुंदेलखंड में स्थितियां और भयावह हो चली हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि दो वक्त की रोटी के लिए ग्रामीण अपने पशु बेच रहे हैं। पशुओं के खरीदार नहीं मिल रहे हैं, चारे पानी का जबरदस्त संकट है लिहाजा पशुपालक भारी मन से औने-पौने दामों में इनसे पीछा छुड़ा रहे हैं। कई गांव ऐसे भी हैं जहां के लोगों ने अपने...

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