‘ मजदूरी का भुगतान ना होने और भुगतान में देरी के कारण श्रमिकों के बीच मनरेगा की साख खत्म हो गई है.' मध्यप्रदेश में मनरेगा के क्रियान्वयन की कड़वी सच्चाई बयान करने वाला यह वाक्य ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा गठित कॉमन रिव्यू मिशन(सीआरएम) की हाल ही में जारी एक समीक्षा रिपोर्ट का है.( रिपोर्ट के लिए यहां क्लिक करें) मनरेगा के असरदार क्रियान्वयन में फंड की कमी को बड़ी बाधा बताते हुए...
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देश को पहले NPA से निपटने की जरूरत : रघुराम राजन
मुंबई: रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने देश को ठोस घरेलू नीतियों तथा सुधारों की राह पर बनाए रखने की जरुरत पर बल देते हुए कहा है कि ऋण की वृद्धि की समीक्षा करने से पहले बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता (ऋण वसूली के संकट) से निपटने की जरुरत है. रिजर्व बैंक द्वारा आज जारी वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (एफएसआर) की प्रस्तावना में राजन ने कहा है, ‘‘बैंकिंग क्षेत्र का...
More »डाकघर बैंकिंग की मुश्किलें-- सतीश सिंह
रिजर्व बैंक ने भारतीय डाक को भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक (आइपीपीबी) या भुगतान बैंक का लाइसेंस दे दिया है। केंद्र सरकार ने भी आइपीपीबी शुरू करने की मंजूरी दे दी है। वर्ष 2017 के मार्च में यह बैंक खुल जाएगा और सितंबर, 2017 से काम करना शुरू कर देगा। अभी आइपीपीबी को साढ़े छह सौ शाखाएं खोलने की इजाजत मिली है। इसके लिए साढ़े तीन हजार नए कर्मचारियों की भर्ती...
More »देश की आर्थिक विकास दर रहेगी 7.7 फीसद
नई दिल्ली। देश की आर्थिक विकास दर के चालू वित्त वर्ष 2016-17 में 7.7 फीसद रहने का अनुमान है। कृषि और औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन में सुधार का ग्रोथ को सहारा मिलेगा। लगातार दो साल कमजोर मानसून के बाद इस साल इसके अच्छे रहने की संभावनाओं ने सकारात्मक आउटलुक को बल दिया है। फिलहाल, निवेश चक्र के रफ्तार पकड़ने में छह महीने लग सकते हैं। फिक्की के इकोनॉमिक आउटलुक सर्वे...
More »ताकि बैंकों की साख कायम रहे- एन के सिंह
हेनरी पॉलसन के मुताबिक, 'अगर कोई आर्थिक-तंत्र बिखरता है, तो फिर उसे पटरी पर लाना वाकई बहुत-बहुत मुश्किल हो जाता है।' भारत का वित्तीय क्षेत्र अभी गंभीर संकट में उलझा हुआ है। और यह संकट मुख्यत: सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियों, यानी एनपीए के कारण पैदा हुआ है। 31 दिसंबर, 2015 तक 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए 3,93,035 करोड़ रुपये था। अगर इसमें जोखिम वाले...
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