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लैंगिक भेदभाव के खिलाफ खड़ा साल--

साल 2018 भारत की महिलाओं के लिए मील का पत्थर साबित हुआ। अधिकारों के नजरिए से देखें, तो उन्होंने फिर से अपना सही मुकाम हासिल किया। यह वर्ष देश की शीर्ष अदालत द्वारा महिलाओं के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले सुनाने का भी गवाह बना। सुप्रीम कोर्ट ने धारा 377 को रद्द किया, महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में पूजा-अर्चना के सांविधानिक अधिकार दिए, ‘तीन तलाक' खत्म किया, एडल्टरी यानी व्यभिचार को...

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मौलिक अधिकारों का संघर्ष जारी, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार चार्टर के 70 साल

मनुष्यों के लिए नागरिक, सामाजिक, राजनैतिक, आर्थिक, सांस्कृतिक अधिकार मौलिक मानवाधिकारों की श्रेणी में आते हैं. विभिन्न रिपोर्टें इस बात की पुष्टि करती हैं कि दुनिया की एक बड़ी आबादी आज भी अपने बुनियादी अधिकारों के लिए संघर्षरत है और मानवाधिकार उल्लंघन का शिकार है. मानवाधिकार के पक्ष में आवाज बुलंद करने की जरूरत को समझते हुए कई देश संयुक्त राष्ट्र के नेतृत्व में 70 साल पहले एकजुट...

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भारत में धर्म और जाति के नाम पर ऑनलाइन ट्रोलिंग सबसे ज्यादा- नई रिपोर्ट

डिजिटल होते इंडिया में बांग्लादेश या पाकिस्तान के मुकाबले ऑनलाइन उत्पीड़न का शिकार होने वाले लोगों की तादाद ज्यादा है. साल 2017 में इंटरनेट की आभासी दुनिया में मौजूद 15-65 साल के हर पांच में से एक भारतीय को ऑनलाइन उत्पीड़न का सामना करना पड़ा जबकि पाकिस्तान और बांग्लादेश में प्रत्येक 100 इंटरनेट उपभोक्ताओं में 12 उपभोक्ता ऑनलाइन उत्पीड़न के शिकार हुए. यह जानकारी सूचना और प्रौद्योगिकी से संबंधित नीतियों तथा नियमन...

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सुप्रीम कोर्ट का सख्त निर्देश, सोशल मीडिया समेत कहीं भी प्रकाशित-प्रसारित ना हो यौन पीड़ित की तस्वीरें

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने देश में हर तरफ महिलाओं और बच्चियों के साथ बलात्कार की बढ़ती घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया से कहा कि देश में यौन उत्पीड़न की घटना की पीड़ितों की तस्वीरें किसी भी रूप में प्रकाशित या प्रदर्शित नहीं की जाये. शीर्ष अदालत ने मंगलवार को राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा...

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कठोरतम कानून न्याय का पर्याय नहीं--- निशा नाग

कठुआ और उन्नाव की बलात्कार की घटनाओं को लेकर फैले जन-आक्रोश के बीच ऐसे मामलों में फांसी की सजा दिए जाने की मांग को एक लोकप्रिय मांग बना दिया गया। इस दबाव का नतीजा यह हुआ कि बारह वर्ष से कम उम्र के बच्चियों के साथ बलात्कार पर फांसी के प्रावधान वाला अध्यादेश केंद्र सरकार ने जारी कर दिया। यह अध्यादेश राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद लागू हो चुका है।...

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