साउथ एशिया वुमैन'स नेटवर्क (स्वान) दक्षिण एशिया के नौ देशों की विदुषियों, महिला सांसदों, नेत्रियों, विशेषज्ञों और महिला कार्यकर्ताओं का एक संगठन है। ये नौ देश हैं-अफगानिस्तान, बांग्लादेश, भूटान, भारत, मालदीव, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान और श्रीलंका। यह संगठन मुख्यतः पर्यावरण, कला और साहित्य, शांति, स्वास्थ्य, पोषण और खाद्य सुरक्षा, शिक्षा, शिल्प और वस्त्र, वित्त, आजीविका और उद्यम विकास तथा मीडिया में महिलाओं की भूमिका पर अपना ध्यान केंद्रित करता है।...
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बच्चों की सेहत : कुछ और आगे बढ़े हम-- ज्यां द्रेज
हाल ही में जारी रैपिड सर्वे ऑन चिल्ड्रेन (आरएसओसी) के निष्कर्षों में मुख्यधारा की मीडिया ने कोई खास दिलचस्पी नहीं ली. यह दुखद है, क्योंकि सर्वेक्षण के निष्कर्षों में सीखने के लिए काफी कुछ हैं. तीसरा नेशनल फैमिली हैल्थ सर्वे (एनएफएचएस) करीब दस साल पहले 2005-06 में संपन्न हुआ था. चौथे एनएफएचएस के पूरा होने में लगी भारी देरी से भारत के सामाजिक आंकड़े बहुत पुराने हो गये हैं. सौभाग्य...
More »मातृत्व लाभ पर केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के अंतर्गत प्रदान किए मातृत्व संबंधी हकदारियों को लागू ना करने के बारे में पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार को नोटिस जारी किया. नागरिक संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस कदम का स्वागत किया है. मातृत्व संबंधी हकदारियों को लागू करने के संबंध में भारत सरकार को नोटिस न्यायमूर्ति मदन लोकुर और यूयू ललित की पीठ ने जारी किया. नोटिस पीपल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टी(पीयूसीएल)...
More »पूर्वोत्तर में संभावना- चंदन कुमार शर्मा
नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (इसाक-मुइवा) यानी एनएससीएन (आईएम) और केंद्र सरकार ने विगत तीन अगस्त को एक संधि पर हस्ताक्षर करके देश के सबसे पुराने उग्रवादी आंदोलन की समाप्ति को लेकर ताजा संभावनाएं पैदा की हैं। यह संधि असल में, आगामी समझौते की एक रूपरेखा है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, यह समझौता आगामी तीन महीने में हो जाएगा। नगा संगठन पिछले कई दशकों से अपने लिए एक स्वतंत्र देश...
More »गरीबी से जंग के भोथरे हथियार- रीतिका खेड़ा
पिछले दिनों न्यूयॉर्क टाइम्स में (अमर उजाला में भी, 24 जुलाई) प्रकाशित अपने लेख में सरकार के आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन और अर्थशास्त्री सिद्धार्थ जॉर्ज ने नकद हस्तांतरण को लेकर कुछ ज्यादा ही सरल और आशावादी विश्लेषण पेश किया। मगर नकद हस्तांतरण की मौजूदा व्यवस्था में इतनी त्रुटियां है, जिन्हें दूर किए बगैर खाद्य हस्तांतरण को नकद व्यवस्था में बदलने का सपना देखना बड़ी भूल होगी। जबकि 'जेएएम' (जैम-जनधन, आधार,...
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