सर्वोच्च न्यायालय ने अपने एक अहम फैसले में कहा कि अविवाहित मां बच्चे के पिता का नाम बताए बिना उसकी अनुमति के बगैर बच्चे की अभिभावक हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पहले ऐसे मामले में गार्जियनशिप ऐंड वार्ड्स ऐक्ट के तहत पिता की लिखित सहमति लेनी जरूरी थी। शीर्ष न्यायालय का मानना है कि आज का समाज बदल गया है और ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ रही है, जो...
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राजनीतिक बिसात पर आंबेडकर- कुमार प्रशांत
बिहार का आसन्न चुनाव कितने नये रंग बिखेर रहा है! एक नया परिवार ही जन्म लेने, न लेने के पसोपेश में पड़ा है, तो एक नया आंबेडकर भी पूजा के स्थान पर प्रतिष्ठित किया जा रहा है. यह कितना अजीब है कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में जिन्होंने कभी भाग नहीं लिया; जो आजादी की लड़ाई में कभी जेल नहीं गये; आजादी की लड़ाई की जगह जिन्होंने वॉयसराय के दरबार की...
More »रोजगार-सुरक्षा से आएंगे महिलाओं के अच्छे दिन
अपने चुनावी अभियान में मोदी सरकार ने महिलाओं में ‘सुरक्षित दिनों' की खूब उम्मीदें जगाई थीं, लेकिन पिछले बजट में इसे लेकर कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई। उम्मीद की जा रही है कि सरकार इस बजट में महिला सुरक्षा को लेकर बड़े ऐलान कर सकती है। महिलाओं के लिए शिक्षा और रोजगार में नए अवसर पैदा करने वाली योजनाएं भी लाई जा सकती हैं। पांच बड़े वादे संविधान संशोधन के जरिए...
More »भूमि अधिग्रहण अध्यादेश पर संसद में घमासान, विरोध से सरकार दबाव में
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश को लेकर संसद के बाहर और संसद के भीतर दोनों जगह मोर्चे खुल गये हैं। एक ओर जहां मंगलवार को अन्ना हजारे और दूसरे किसान संगठनों के बैनर तले बड़ी संख्या में किसान इस अध्यादेश के खिलाफ विरोध जता रहे होंगे। वहीं, सरकार लोक सभा में इस अध्यादेश को कानून में बदलने के लिए विधेयक पेश करने की तैयारी में है। जिसके चलते संसद में इस मुद्दे...
More »बराबरी का फलसफा और हम - गोपालकृष्ण गांधी
साम्यवाद का भविष्य। यह भी आज किसी लेख का विष्ाय हो सकता है क्या? कांग्रेस का भविष्य, नेहरू-गांधी परिवार का भविष्य, लोकतांत्रिकता का भविष्य, अल्पसांख्यिकता का भ्ाविष्य, स्वतंत्र विचार, स्वतंत्र लेखन, स्वतंत्र चिंतन का भविष्य, इन सब पर सोच वाजिब और लाजिम है। लेकिन साम्यवाद..? साम्यवाद करके जब कुछ रहा ही नहीं है, उस नाम के दोनों दलों माकपा और भाकपा के जब लोकसभा में सदस्य ही नहीं के बराबर हैं,...
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