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अनाज भंडारण की गहराती समस्या

भारतीय खाद्य निगम अब अनाज को सड़ने से बचाने के लिए विदेशी कम्पनी मोर्गन स्टेनली की मदद लेने जा रहा है। मोटे तौर पर यह कम्पनी भारतीय खाद्य निगम को यह सिखाएगी कि अनाजों की खरीद, ढ़ुलाई और बफर स्टॉक की मात्रा तय करने से लेकर उसके रख-रखाव और वितरण की व्यवस्था को कैसे चुस्त-दुरुस्त रखा जा सकता है। पिछले कुछ सालों से अनाज के उचित भंडारण के अभाव में खुले...

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अपने संरक्षण को तरस रही ‘गिद्ध संरक्षण योजना’

भोपाल. राजधानी से 15 किमी दूर मेंडोरा गांव में गिद्ध बचाने के लिए बनाया जा रहा ‘वल्चर कंजर्वेशन ब्रीडिंग सेन्टर’ खुद को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है। वन विभाग 38 लाख रु. फूंकने के बाद भी तय नहीं कर पाया कि सेंटर के संचालन के लिए हर साल लगने वाले २६ लाख रु. कौन देगा? डीबी स्टार ने पड़ताल की तो सामने आया कि जिम्मेदारों ने विदेशी धन के...

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4 करोड़ में से अब बचे सिर्फ 56 हजार गिद्ध

भोपाल देश में 80 के दशक में करीब 4 करोड़ गिद्ध थे, लेकिन अब 56 हजार ही बचे हैं। इसमें से भी स्लेंडर बिल्ड प्रजाति के गिद्ध करीब १ हजार ही बचे हैं। इसका कारण वैश्विक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दर्द निवारक दवा ‘डायक्लोफे नाक’ को माना गया है। पाकिस्तान में २क्क्३ में एक प्रयोग के द्वारा यह बात बताई गई। वहां इस दवा के द्वारा संक्रमित पशु क...

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उद्योगों के लिए उपजाऊ जमीन की बलि

भोपाल.प्रदेश के औद्योगिक विकास के लिए लगता है किसानों को ही बलि देनी होगी। उद्योगों के विकास के लिए उपजाऊ जमीन के अधिग्रहण संबंधी आंकड़े तो इसी तरफ इशारा करते हैं। राज्य सरकार ने बीते कुछ सालों में ही हजारों हेक्टेयर उपजाऊ जमीन अपने कब्जे में ले ली है, ताकि उसे उद्योगों के लिए दिया जा सके। प्रदेश में औद्योगिक विकास के नाम पर किसानों की उपजाऊ जमीन को हथियाने का दुष्चक्र...

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संकट में अन्नदाता

भोपाल. वे कभी गांव के जमींदार थे, अच्छा खासा रसूख था। सुखी परिवार था, मिल जुलकर रहते थे, लेकिन आज हालात बदले हुए हैं। अब न ही रुतबा है, न ही जमीन और न ही जिंदगी बसर करने के लिए पैसे। ये कहानी है, भोपाल से सटे गांव पुरा छिंदवाड़ा के किसानों की। भोपाल जिले में हाल ही में उजागर हुए हजार एकड़ जमीन के घोटाले में कई किसान धोखाधड़ी...

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