देश के कई हिस्से इन दिनों कृषि संकट से गुजर रहे हैं।काफी हद तक इसकी वजह खराब मानसून है। ज्यादातर इलाकों में किसान आज भी सालाना बारिश पर निर्भर हैं, लेकिन कम बारिश के चलते साल 2014 और 2015 उनके लिए अच्छे नहीं रहे, हालांकि 2016 में अच्छी बारिश हुई थी। इस संकट की एक वजह कमोडिटी साइकिल (उत्पादों का चक्र) भी है, जिसके कारण खाद्य उत्पादों की वैश्विक कीमतें चक्रानुक्रम...
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किसान मदद के मोहताज क्यों हैं -- रमेश कुमार दुबे
तमिलनाडु के कावेरी बेसिन के सूखा-पीड़ित किसान पिछले तीन हफ्तों से इंसानी खोपड़ियों के साथ दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे हैं ताकि दिल्ली के हुक्मरानों को अपनी आवाज सुना सकें। इनका दावा है कि ये खोपड़ियां उन किसानों की हैं जिन्होंने कर्ज के दुश्चक्र में फंस कर आत्महत्या कर ली या भूख ने जिनकी जान ले ली। एक नई प्रवृत्ति यह है कि यहां के लोग आत्महत्या करने वाले किसानों...
More »तीन सरकार, तीनों बेकार!-- योगेन्द्र यादव
हमारे देश में महानगरों की हालत इतनी बुरी क्यों है, यह समझना है तो दिल्ली आइए. लोकतांत्रिक चुनाव इसे बदलने में क्यों असफल रहते हैं, यह जानने के लिए दिल्ली नगर निगम के चुनाव को देखते रहिए. हमारे शहरों-महानगरों में सरकार एक भूल-भुलैया है. सरकारी बाबू के सिवा किसी को नहीं पता कि किसका क्या अधिकार क्षेत्र है. दिल्ली शहर में तीन सरकारों का राज चलता है- उपराज्यपाल...
More »हिमाचल में सेब की फसल चौपट तो पंजाब-हरियाणा में गेहूं खराब
नई दिल्ली। मौसम में आए बदलाव ने हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों को दर्द दिया तो पंजाब व हरियाणा के किसानों की कमर तोड़कर रख दी। सेब की फसल जहां आधी होने का अनुमान है वहीं गेहूं में हुए नुकसान का आकलन नहीं हो सका है। हिमाचल में आर्थिकी के मुख्य स्रोत पर संकट के बादल छा गए हैं। तीन दिन से बारिश व ओलावृष्टि से तापमान में आई भारी गिरावट...
More »इस साल फल और शाक-सब्जियों का उत्पादन अनाज से ज्यादा..!
उम्मीद है कि इस बार भी बागवानी के क्षेत्र में उत्पादन खाद्यान्न उत्पादन से ज्यादा रहेगा. यह चलन बीते पांच सालों से जारी है. बहरहाल, 2014-15 और 2015-16 के मुकाबले इस फसली वर्ष में वानिकी-उत्पाद में बड़ी मामूली वृद्धि होने का पूर्वानुमान है. इन दोनों सालों में देश के ज्यादातर राज्यों ने सूखे का सामना किया था. इस साल 2014-15 के मुकाबले वानिकी-उत्पादन में 2.2 फीसद और 2015-15 की...
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