केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बने अब चार महीने से अधिक हो चुके हैं. मोदी ने चुनाव प्रचार में स्वास्थ्य सुविधाओं की बेहतरी का वादा भी किया था. लेकिन स्वास्थ्य के मोर्चे पर मोदी सरकार ने किया क्या है, इसका विस्तृत ब्योरा अभी उपलब्ध नहीं है. अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज़ राष्ट्रपति के अभिभाषण, प्रधानमंत्री के संसद में दिए भाषण, लाल किले से प्रधानमंत्री का देश के नाम संदेश और वित्तमंत्री...
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नोबेल शांति पुरस्कार का पैगाम - सत्येंद्र रंजन
भारत के कैलाश सत्यार्थी और पाकिस्तान की मलाला यूसुफजई के संयुक्त रूप से नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने पर बेशक दोनों देशों के वंचित समूहों के बच्चों और उनके अधिकारों पर नए सिरे से रोशनी पड़ेगी। सत्यार्थी के 'बचपन बचाओ आंदोलन" ने इस कड़वी हकीकत से देश को परिचित कराए रखा है कि बंधुआ मजदूरी को अपराध बनाने, बाल मजदूरी को गैरकानूनी ठहराने और प्राथमिक शिक्षा को मूल अधिकार...
More »मनरेगा में बदलाव से बढ़ेगी गरीबी- संतोष कुमार सिंह
नयी दिल्ली : देश के जाने-माने सामाजिक कार्यकर्ताओं, अर्थशात्रियों ने ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा मनरेगा में फेरबदल के प्रयासों की आलोचना की है. विशेषज्ञों का कहना है कि केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्रालय मनरेगा के मौजूदा प्रावधानों में फेरबदल करना चाहता है. सूचना के अधिकार कानून के जरिये हुए एक खुलासे में कहा गया है कि इस फेरबदल से पांच करोड़ घर प्रभावित होंगे. उपरोक्त बातें पीपुल एक्शन फॉर इम्प्लॉयमेंट गारंटी नामक...
More »महंगाई पर नजर, विकास पर असर- शंकर अय्यर
हम मुद्रास्फीति को अपनी अर्थव्यवस्था पर असर न डालने देने के बारे में प्रतिबद्ध हैं- सात अगस्त, 1966 हमें मुद्रास्फीति की चुनौती के खिलाफ एकजुटता से और लक्ष्यबद्ध होकर लड़ना होगा- 25 जुलाई, 1974 यह याद रखना होगा कि मुद्रास्फीति गरीब और कमजोर तबके पर करारा वार करती है- 13 जनवरी, 1981 - इंदिरा गांधी मुद्रास्फीति से भारत का युद्ध कभी न खत्म होने वाला धारावाहिक है, जो हर दशक के टेलीविजन स्क्रीन पर...
More »क्या गरीबी कभी खत्म हो सकती है?- लार्ड मेघनाद देसाई
लॉर्ड मेघनाद देसाई भारतीय मूल के ब्रिटिश अर्थशास्त्री और लेबर पार्टी से जुड़े राजनीतिज्ञ हैं. वह अर्थशास्त्र के विश्वविख्यात संस्थान, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर रह चुके हैं. उन्होंने कई किताबें लिखी हैं. उनके 200 से ज्यादा लेख अकादमिक जर्नलों में प्रकाशित हो चुके हैं. वह कई भारतीय व ब्रिटिश अखबारों के लिए नियमित स्तंभ लिखते हैं. 5 सितंबर 2014 को उन्होंने पटना स्थित एशियन डेवलपमेंट रिसर्च इंस्टीट्यूट (आद्री) में...
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