हर साल देश में करीब पचास हजार करोड़ रुपए का अनाज बर्बाद हो जाता है। एक ऐसे देश में जहां करोड़ों की आबादी को दो जून ठीक से खाना नहीं नसीब होता, वहां इतनी मात्रा में अनाजों की बर्बादी किस तरह की कहानी कहती है? इसकी पड़ताल कर रहे हैं रविशंकर। यह विडंबना नहीं, उसकी पराकाष्ठा है कि सरकार किसानों से खरीदे गए अनाज को खुले में छोड़कर अपना कर्तव्य पूरा...
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डूब जाते हैं बनैनिया जैसे समृद्ध गांव और राजनीति उफ तक नहीं करती
महज पांच साल पहले कोसी नदी के किनारे एक खूबसूरत और समृद्ध गांव था बनैनिया. मिथिलांचल और कोसी के इलाकों को जोड़ने के लिए जब महासेतु बना, तो बनैनिया डूब गया. थोड़ी-सी प्रशासनिक सजगता इस गांव को बचा सकती थी. गुणानंद ठाकुर जैसे सांसद और मायानंद मिश्र जैसे बड़े साहित्यकार का यह गांव अब कोसी की धारा में समा गया है. गांव के लोग 22 अलग-अलग गांवों में रहते हैं....
More »न्यायिक नियुक्ति आयोग की गुत्थी-- पी चिदंबरम
कल्पना करें कि हम एक ऐसे राष्ट्र के नागरिक हैं, जिसने अभी-अभी आजादी हासिल की है और जिसे नया संविधान बनाना है। फिर, कल्पना करें कि हम न्यायपालिका से संबंधित अध्याय लिख रहे हैं। तब मुख्य सवाल ये उठेंगे। (1) हम न्यायपालिका की स्वतंत्रता कैसे सुनिश्चित करेंगे? (2) जज होने की पात्रता क्या होगी? (3) जजों के चयन और नियुक्ति की प्रक्रिया क्या होगी? (4) न्यायालय के अधिकार क्या होंगे,...
More »राजकोषीय घाटा चिंता का विषय नहींः जेटली
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि राजकोषीय घाटे को लेकर सरकार चिंचित नहीं है। सरकार विनेवेश में सामने आ रही कठिनाईयों के बावजूद इस घाटे को नियंत्रित करने में सक्षम है। जेटली ने कहा मुझे नहीं लगता है कि कोई चिंता की बात है .. सरकार ने राजकोषीय घाटे का लक्ष्य बहुत हल्का रखा था जो 4.1 प्रतिशत घट कर चार प्रतिशत हो गया और (2015-16) के...
More »इस अतिवाद का मुकाबला कैसे करें- योगेन्द्र यादव
एक ही महीने में राष्ट्रपति ने दूसरी बार सहिष्णुता की याद दिलाई है। प्रधानमंत्री ने भी दादरी में अखलाक की हत्या पर अफसोस जता दिया है। और तो और, अमित शाह ने बीजेपी के बड़बोले नेताओं को फटकार लगा दी है। कई लोग सोच रहे होंगे कि अब और क्या चाहिए? मन ही मन कह रहे होंगे कि अब तो दादरी वाले इस मुद्दे को खत्म करो। टीवी चैनलों के न्यूज...
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