पटना। शेक्सपियर और बिहार में समाज के हाशिए पर पड़े मुसहर समुदाय के बच्चों का क्या मेल हो सकता है आपने कभी सोचा है? राजधानी पटना में फर्राटे से मुसहर समुदाय के कक्षा आठ के बच्चों को जूलियस सीजर और मैकबेथ के पात्रों के रूप में प्रहसन प्रस्तुति (स्किट) देते हुए दांतों तले अंगुली दबा लेंगे। भारतीय पुलिस सेवा से अवकाश प्राप्त अधिकारी जेके सिन्हा की कोशिशों से पटना के आंबेडकर पथ...
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एकाधिकार तोड़ता मंत्रोच्चार- निराला की रिपोर्ट(तहलका)
‘मैं ख्याति. जयपुर की रहने वाली, 11वीं कक्षा में हूं. संस्कृत को सबसे सामर्थ्यवान भाषा मानती हूं. भारतीय संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ संस्कृति.’ सिर्फ नाम पूछने पर इतनी बातें बताती है ख्याति. फिर तुरंत ही शुरू हो जाती है. किसी टोक-टोक या सवाल की गुंजाइश छोड़े बगैर. आगे कहती है, ‘भईयाजी, आपने बहुत मंदिर देखे होंगे, लेकिन अब आप देश ही नहीं, दुनिया का अनोखा मंदिर देखेंगे. पाणिनी मंदिर नाम है...
More »उषा से आशा...
राजस्थान के अलवर में रहने वाली ऊषा चाउमार ने अपने साथ सैकड़ों स्त्रियों को सिर पर मैला ढोने की प्रथा से छुटकारा दिलाया. विकास कुमार की रिपोर्ट. ऊषा पहले तो बात करने में खुलती ही नहीं. बेहद औपचारिक तरीके से दुआ-सलाम और फिर इधर-उधर की बातें करती हैं. लेकिन बार-बार अपने बारे में बताने का आग्रह करने पर जब वे अनौपचारिक होती हैं तो फिर बोलती ही जाती हैं. ढेरों बातें एक ही सांस...
More »गरीबों की पहुंच से ऊपर हो रही है दिल्ली- मनोज मिश्र
नई दिल्ली । दिल्ली और एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) को आम की बजाए खास आदमी का शहर बनाने की तैयारी हो रही है। इसका नतीजा यह हुआ है कि एनसीआर के कई इलाके उजड़ने के कगार पर हैं। दिल्ली के कुछ इलाकों को छोड़ दें तो दिल्ली के ज्यादातर इलाके स्लम जैसे बनते जा रहे हैं। 1483 वर्ग किलोमीटर की दिल्ली का महज पांचवा हिस्सा ही रिकार्ड में बचा है, जिसे...
More »गुजरात के विकास का सच
जनसत्ता 6 नवंबर, 2012: अमिताभ बच्चन जब भी रेडियो और टेलीविजन पर एक विज्ञापन ‘खुशबू गुजरात की’ करते हैं तो उनकी दिलकश आवाज और लहजे से एक बार तो मन करता है कि ‘गुजरात-2002’ को भूल कर एक साधारण पर्यटक की तरह गुजरात घूमा जाए। नरेंद्र मोदी ने, विशेषकर 2002 के बाद, मीडिया में अपनी और गुजरात की छवि सुधारने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़ी। दरअसल, 2002 के दंगों के एक वर्ष बाद...
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