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निरक्षर अब पंचायत के दरवाजे से बाहर-- सुभाष गताडे

भू टान, लीबिया, केन्या, नाईजीरिया और भारत इन देशों में क्या समानता है? वैसे, पहले उल्लेखित चारों देश- जहां जनतंत्र अभी ठीक से नहीं आ पाया है, कहीं राजशाही तो कहीं तानाशाही, तो कहीं जनतंत्र एवं अधिनायकवाद के बीच की यात्रा चलती रहती है- और दुनिया का सबसे बड़े लोकतंत्र कहलानेवाले भारत की किस आधार पर तुलना की जा सकती है? पिछले दिनों आये हरियाणा विधानसभा के एक फैसले...

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महंगाई बढ़ना नहीं, कम होना बड़ी चुनौतीः अरविंद सुब्रमण्यन

नई दिल्ली। देश में आम मान्यता रही है कि महंगाई बड़ी समस्या है। रिजर्व बैंक भी कीमतें कम करने के हर-संभव प्रयास करता रहा है, लेकिन मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का मानना है कि महंगाई कम होना बड़ी चुनौती बन गई है। सरकार ने बुधवार को अपस्फीति यानी चीजों के दाम जरूरत से ज्यादा कम होने को अर्थव्यवस्था के समक्ष नई चुनौती करार दिया। इसके साथ ही सरकार की ओर...

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जीएसटी की कसौटी पर- पार्थ उपाध्याय

संसद का सत्र लोक-अपेक्षाओं को पूर्ण करने का एक मंच होता है। संवैधानिक उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ही सरकार संविधान में संशोधन, परिवर्धन और परिवर्तन करती है। विपक्ष भी जन-आकांक्षाओं पर सरकार को काम करने के लिए बाध्य करने का एक माध्यम है। पर कांग्रेस की हठधर्मिता के कारण विपक्ष की यह भूमिका फिलहाल कमजोर हुई दिखती है। लगभग सत्रह हजार नागरिकों ने अपने हस्ताक्षरों के साथ अपील जारी की...

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ताकि प्राथमिक शिक्षा में सुधार आए- जाहिद खान

देश की प्राथमिक शिक्षा में सुधार हो, सरकारें इस मुद्दे पर दशकों से विचार कर रही हैं। लेकिन यह सुधार कैसे होगा, इस पर कभी ईमानदारी से नहीं सोचा गया। यही वजह है कि आजादी के अड़सठ साल बीत जाने के बाद भी सरकारी नियंत्रण वाले प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों में न तो शिक्षा का स्तर सुधर पा रहा है और न ही इनमें विद्यार्थियों को बुनियादी सुविधाएं मिल पा...

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वक़्त की नब्ज़ : विकास की अहमियत---- तवलीन सिंह

मुझे विश्वास है कि भारत की हर समस्या का समाधान है विकास। सो, जब प्रधानमंत्री ने इस बात को बिहार में बार-बार कहा पिछले हफ्ते अपनी आम सभाओं में तो मुझे खुशी हुई। पहले भी कह चुके हैं कई दफा नरेंद्र मोदी कि जब तक पूर्वी छोर के राज्य पश्चिमी छोर के राज्यों के बराबर नहीं पहुंचते हैं विकास की दौड़ में, तब तक भारत की गाड़ी आगे तेजी से...

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