रमनजीत सिंह, तलवंडी साबो । अंग्रेजी की पुरानी कहावत है 'ओल्ड इज गोल्ड' और यह कहावत यहां के गुड़ पर भी लागू होती है। दरअसल यह गुड़ कई गुणों का धनी है। सही मानें तो यह संजीवनी है। जी हां, यहां पंसारी की एक ऐसी दुकान है, जहां गुड़ बेशकीमती चीज की तरह ही बिकता है। आसपास के इलाकों में देसी दवाखाने चलाने वाले वैद्य इस पुराने गुड़ को विभिन्न दवाएं तैयार करने में...
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वैद्य विशारद व आयुर्वेद रत्न नहीं कर पाएंगे इलाज
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। सुप्रीमकोर्ट ने अपने एक अहम फैसले में कहा है कि हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से 1967 के बाद वैद्य विशारद व आयुर्वेद रत्न की डिग्री लेने वाले वैद्यों की डिग्री कानूनी नहीं है और इन लोगों को मरीजों का इलाज करने का अधिकार नहीं है। सुप्रीमकोर्ट के इस फैसले से पिछले 43 वर्षों में हिन्दी साहित्य सम्मेलन से डिग्री लेकर मरीजों का इलाज कर रहे हजारों वैद्यों का बोरिया बिस्तर बंध जाएगा।...
More »साठ खदानों के परिचालन पर लगी रोक
नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। खनिज संपदा वाले झारखंड, उड़ीसा, गुजरात, आंध्र प्रदेश तथा कर्नाटक में इंडियन ब्यूरो आफ माइंस [आईबीएम] ने 60 खदानों के परिचालन पर रोक लगा दी है। यह पाबंदी प्रस्तावित योजना के विरुद्ध खनन करने पर लगाई गई है। आईबीएम के विशेष कार्यबल-एक ने मार्च, 2010 तक विभिन्न राज्यों की 106 खदानों में दौरा कर खनन कार्यो का जायजा लिया। जांच में पता चला कि इनमें से आधी से ज्यादा संख्या में खदानों...
More »बड़े पत्रकार, बड़े दलाल
पद्मश्री बरखा दत्त और वीर सांघवी. दो ऐसे नाम, जिन्होंने अंग्रेज़ी पत्रकारिता की दुनिया पर सालों से मठाधीशों की तरह क़ब्ज़ा कर रखा है. आज वे दोनों सत्ता के दलालों के तौर पर भी जाने जा रहे हैं. बरखा दत्त और वीर सांघवी की ओछी कारगुज़ारियों के ज़रिए पत्रकारिता, सत्ता, नौकरशाह एवं कॉरपोरेट जगत का एक ख़तरनाक और घिनौना गठजोड़ सामने आया है. देश की जनता हैरान है कि एनडीटीवी...
More »किसे है यूपी में जनता की सेहत की फिक्र
नई दिल्ली [राजकेश्वर सिंह]। उत्तर प्रदेश विधानसभा में आंकड़ों के खेल में सरकार की सेहत भले ही ठीक हो, लेकिन जनता की सेहत की फिक्र किसे है। कम से कम ग्रामीण क्षेत्रों में तो स्वास्थ्य सेवाओं का बुरा हाल है। केंद्र सरकार की नजर में इस मामले में राज्य सरकार का कामकाज बिल्कुल असंतोषजनक है। प्रदेश के लगभग दो सौ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बिना डॉक्टरों के और 1929 मातृ-शिशु कल्याण उप केंद्र बिना एएनएम के चल...
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