नई दिल्ली [सुरेंद्र प्रसाद सिंह]। खाद्यान्न संकट से निपटने के लिए सरकार ने मोटे अनाज की खेती को प्रोत्साहित करने की योजना तैयार की है। इसके तहत एक करोड़ हेक्टेयर अतिरिक्त जमीन में मोटे अनाज की खेती बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सिंचाई के लिए बेशक पानी कम मिले लेकिन नई प्रौद्योगिकी और वर्णसंकर बीजों के प्रयोग से इनकी उत्पादकता बढ़ाई जाएगी। गेहूं व चावल के मुकाबले...
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वैश्विक खाद्यान्न उत्पादन- मौजूदा हालात
एफएओ का कहना है कि साल 2010-2011 में अनाज के उत्पादन में रिकार्ड बढ़त( 2279.5 ) होने की संभावना है लेकिन बुरी खबर यह है कि सूखे की मार झेल रहे रूस में इस साल गेहूं के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन एक करोड़ ३० लाख टन कमी आने की आशंका है। साल 2008-09 में रूस में 63.7 मिलियन टन गेहूं का उत्पादन हुआ था जबकि इस साल आशंका है...
More »दाने-दाने की राजनीति
इण्डिया और भारत के बीच की गहरी खाई में दो रोटियों के लिए स्कूल पहुंचने वाले बच्चों को पकाने वाले की जाति पर गुस्सा आ जाए यह बात अपने आप में चौंकाने वाली है अब तो मजहब कोई ऐसा भी चलाया जाए जिसमें इंसान को बस इंसान बनाया जाए 84 वर्षीय गीतकार गोपालदास नीरज ने अभी हाल में लखनऊ में अपने एक सम्मान समारोह में जब यह पक्तियाँ गाईं तो समूचा सभागार...
More »राशन प्रणाली दुरुस्त करें राज्य: प्रणब
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि आम आदमी को महंगाई से राहत दिलाने के लिए राज्य सरकारों को अपनी राशन प्रणाली दुरुस्त करनी चाहिए। खाद्यान्न सुरक्षा की गारंटी के लिए प्रस्तावित कानून भी तभी कारगर हो पाएगा। इसमें राज्यों की जिम्मेदारी अधिक है। राज्य सभा में महंगाई पर चर्चा का जवाब देते हुए मुखर्जी ने विपक्ष के आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि...
More »भोजन बन नहीं रहा, बच्चे लौट रहे भूखे
मुजफ्फरपुर, जागरण टीम। सरकार की अति महत्वाकांक्षी मध्याह्न भोजन योजना का हाल यह है कि चावल के अभाव में उत्तर बिहार के जिलों के आधा से ज्यादा स्कूलों में मध्याह्न भोजन बन ही नहीं रहा है, बच्चे भूखे घर लौट रहे हैं। पड़ताल से पता चलता है कि व्यवस्था स्कूलों तक चावल पहुंचाने में ही विफल हो चुकी है, खिचड़ी बने तो कैसे? कहीं निविदाएं नहीं निकाली जा सकीं तो कहीं...
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