आज जलवायु परिवर्तन पूरी दुनिया के लिए चिंता का विषय है. मौसम का चक्र बदल रहा है. कभी बिन मौसम भारी बरसात, तो कभी बारिश के मौसम में सूखा. कभी असमय भारी बर्फबारी, तो कभी धुंध. धरती गर्म हो रही है. ग्लेशियर पिघल रहे हैं. जलस्तर बढ़ने के कारण समुद्र से घिरे द्वीपीय इलाकों के डूबने का खतरा पैदा हो रहा है. इनके सबकी वजह है बढ़ता प्रदूषण और पर्यावरण का...
More »SEARCH RESULT
लोक से कटा गंगा-विमर्श -- अनिल चमड़िया
जनसत्ता 15 अक्तूबर, 2014: गंगा के बारे में जो धारणा भारतीय जन-मानस के बड़े हिस्से में सचेतन रूप से खड़ी की गई है, वह केवल धार्मिकता से जुड़ी है। वह धार्मिकता भी बेहद एकांगी है। इस पूरी धारणा ने मानवीय जीवन और खास तौर से समाज की सामूहिक चेतना को बुरी तरह से खंडित किया है। इसने प्रकृति के साथ जीवन के रिश्तों को समझने और उसे समृद्ध करने की...
More »अपने पीछे हुदहुद छोड़ गया है तबाही का मंजर
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया, ‘‘कल विशाखापत्तनम जाउंगा और हालात का जायजा लूंगा.’’प्रधानमंत्री ने कहा है कि उन्होंने आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू से बात की है और लगातार उनसे ताजा हालात की जानकारी ले रहे हैं. सोमवार सुबह पांच बजे से NDRF की टीम पुन: राहत बचाव कार्य में लग गई है. इससे पहले कल NDRF की टीम ने 558 लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था. एक साल...
More »ऊर्जा संरक्षण के साथ करोड़ों लोगों के घरों का अंधेरा दूर कर सकती है एलइडी टेक्नोलॉजी- कन्हैया झा
नयी दिल्ली: स्वीडन की शाही विज्ञान अकादमी की नोबेल पुरस्कार समिति ने भौतिकी के क्षेत्र में वर्ष 2014 का नोबेल पुरस्कार दो जापानी वैज्ञानिकों प्रोफेसर इसामू अकासाका, हिरोशी अमानो और एक अमेरिकी वैज्ञानिक शुजी नाकामुरा को देने की घोषणा की है. इन तीनों वैज्ञानिकों को यह पुरस्कार ब्लू लाइट एमिटिंग डायोड (एलइडी) का आविष्कार करने के लिए दिया जायेगा. एलइडीबिजली की खपत कम करने में सक्षम होने के साथ-साथ रोशनी...
More »मलेथा ने एक बार फिर सबको राह दिखाई- अनिल प्रकाश जोशी
माधोसिंह भंडारी ने कभी नहीं सोचा था कि वह जिस गांव में पानी लाने के लिए अपना जीवन लगा देगा और अपने पुत्र की बलि भी दे देगा, सरकार उसी गांव को प्रदूषण की बलि चढ़ा देगी। सोलहवीं शताब्दी में उत्तराखंड के गांव मलेथा में माधोसिंह भंडारी ने एक ऐसा इतिहास रचा, जो हर सदी में याद किया जाएगा। यह गांव कुछ भी पैदा करने में असमर्थ था, क्योंकि यहां...
More »