मुंबई : भारत में जगह-जगह पर लोगों की प्राथमिकताएं बदलती हैं, और उसके साथ ही बदलती हैं उनकी पसंद और खरीदारी की वस्तुएं भी. जहां ग्रामीण भारत सोने की खरीदारी पर जोर देता है, वहीं शहरी आबादी कार, एसी आदि की खरीदारी को तवज्जो देता है. नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन के (एनएसएसओ) आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि देश के विभिन्न हिस्सों की जरूरतें और प्राथमिकताएं अलग-अलग हैं. कहीं ज्यादा से ज्यादा...
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निर्मल गंगा का सपना- केपी सिंह
जनसत्ता 25 जून, 2014 :गंगा को निर्मल बनाने का अभियान नई सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में से एक है। सरकार की प्रतिबद्धता इसी बात से आंकी जा सकती है कि इस संबंध में प्रारंभिक बैठकों का दौर शुरू हो चुका है। काम बहुत मुश्किल है, पर असंभव नहीं। गंगा हिमालय से निकल कर उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल से बहते हुए बंगाल की खाड़ी में जाकर समुद्र...
More »बिहार में इंसेफलाइटिस का कहर, अब तक लगभग 150 बच्चों की मौत
मुजफ्फरपुर: एइएस से नौ और मासूमों की जान चली गयी, जबकि 19 पीड़ितों को एसकेएमसीएच व केजरीवाल में इलाज के लिए भरती कराया गया. मंगलवार से मौसम में आये बदलाव को देखते हुए माना जा रहा था कि बीमारी में कमी आएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. एसकेएमसीएच में मौत का सिलसिला जारी रहा. एसकेएमसीएच व केजरीवाल अस्पताल में भरती होने वाले नये मरीजों की संख्या में पिछले दिनों की अपेक्षा कुछ कमी आयी है....
More »राज्य में अभी बनी रहेगी दूध की कमी
रांची : पूरे राज्य में गत 15 दिनों से दूध की कमी बनी हुई है. इस कमी से निबटना मुश्किल है. सुधा की रांची डेयरी से शहर व आसपास के बूथों पर दूध की आपूर्ति में लगातार कटौती की जा रही है. टाटीसिलवे व अन्य इलाके में तीन दिन बाद शनिवार की रात दूध पहुंचा, जो मांग से काफी कम था. गव्य निदेशालय सूत्रों के अनुसार शादी-ब्याह के इस मौसम में...
More »फिर बारिश में खराब होगा करोड़ों का धान, संग्रहण केंद्रों में है 10 लाख क्विंटल धान
बिलासपुर. एक बार फिर बारिश में करोड़ों रुपए का धान सड़कर खराब हो जाएगा। इससे पहले भी जिले के संग्रहण केंद्रों में करोड़ों रुपए का धान खराब हो चुका है, लेकिन मार्कफेड ने इससे सबक नहीं ली है। जिले में बारिश की शुरुआत हो चुकी है लेकिन अभी भी संग्रहण केंद्रों में करीब 10 लाख क्विंटल धान रखा हुआ है। जिले के खरीदी केंद्रों में इस साल अक्टूबर से फरवरी तक 40...
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