नई दिल्ली। भारतीय गणतंत्र करीब 70 साल का प्रौढ़ हो चुका है। एक तरफ चमचमाती सड़कें तो दूसरी तरफ बुनियादी सुविधाओं की कमी। एक तरफ बड़ी-बड़ी इमारतें तो दूसरी तरफ गरीबी की कहानी बयां करती गरीबों की झोपड़ियां हैं। एक ही देश में कहीं इंडिया है तो कहीं भारत। गरीबों और गरीबी के नाम पर सरकारें आती भी हैं और चली भी जाती हैं। लेकिन भारत में गरीबी हटाने के...
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भारत-अमेरिका में हुआ करार, 2020 तक पूरे भारत में मिलकर करेंगे उजाला
भारत और अमेरिका 400 मिलियन डॉलर के खर्च से पूरे देश को सौर ऊर्जा से लैस करेंगे। अमेरिका ने इसके लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता मुहैया कराने का वादा किया है। दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद जारी साझा बयान में कहा गया है कि इस प्रोजेक्ट के लिए दोनों देश 20-20 मिलियन डॉलर का सहयोग करेंगे। इस प्रोजेक्ट को US-India Clean Energy Finance Initiative कहा गया है।...
More »अच्छे देशों की सूची में अभी दूर है भारत की मंजिल
मानवता की बेहतरी में योगदान के लिहाज से जारी अच्छे देशों की ताजा सूची में भारत को 70वें स्थान पर रखा गया है. सूची में 163 देशों को शामिल किया गया है. ऐसे किसी वैश्विक इंडेक्स में हमारे देश की मौजूदा स्थिति निश्चित रूप से निराशाजनक है. देशों की आंतरिक स्थिति के आधार पर पेश की जानेवाली अन्य महत्वपूर्ण रिपोर्टों पर नजर डालें, तो निराशा और बढ़ जाती है. मानव...
More »डाकघर बैंकिंग की मुश्किलें-- सतीश सिंह
रिजर्व बैंक ने भारतीय डाक को भारतीय पोस्ट पेमेंट बैंक (आइपीपीबी) या भुगतान बैंक का लाइसेंस दे दिया है। केंद्र सरकार ने भी आइपीपीबी शुरू करने की मंजूरी दे दी है। वर्ष 2017 के मार्च में यह बैंक खुल जाएगा और सितंबर, 2017 से काम करना शुरू कर देगा। अभी आइपीपीबी को साढ़े छह सौ शाखाएं खोलने की इजाजत मिली है। इसके लिए साढ़े तीन हजार नए कर्मचारियों की भर्ती...
More »सरकारी बैंकों का अंधेरा कुआं-- भरत झुनझुनवाला
वित्त मंत्री ने चिंता जतायी है कि सरकारी बैंकों द्वारा दिये गये लोन बड़ी मात्रा में खटाई में पड़ रहे हैं. इससे अर्थव्यवस्था पर संकट मंडराने लगा है. याद करें कि 2008 में अमेरिकी बैंकों पर संकट उत्पन्न हो गया था. उन्होंने बड़ी मात्रा में लेहमन ब्रदर्स जैसी कंपनियों को लोन दिये थे. लेहमन ब्रदर्स लोन को वापस नहीं दे पाया था. और अमेरिकी अर्थव्यवस्था चरमरा गयी थी. इसी प्रकार...
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