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कृषि क्षेत्र की लगातार उपेक्षा- पवन के वर्मा

सरकार की आर्थिक दृष्टि औद्योगिक गलियारों, राजमार्गों, बुलेट ट्रेनों और स्मार्ट शहरों तक ही सीमित है. भारत को इनकी जरूरत है, लेकिन सरकार एकतरफा ढंग से उस भारत को छोड़ इन लक्ष्यों के पीछे नहीं भाग सकती है जहां आत्महत्याओं की संख्या और लोगों की तकलीफें बेतहाशा बढ़ रही हैं. भाजपा को याद करना चाहिए कि सर्वाधिक 18,241 आत्महत्याएं 2004 में हुई थीं, जब पार्टी ‘शाइनिंग इंडिया' की बात करती...

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ग्रामीण इलाकों में एससी-एसटी के एक चौथाई परिवार निरक्षर

देश के ग्रामीण इलाके में अनुसूचित जाति और जनजाति के तकरीबन एक चौथाई परिवार निरक्षर हैं। ग्रामीण इलाके के अन्य परिवारों की तुलना में यह संख्या लगभग डेढ़ से दो गुनी ज्यादा है।(देखें नीचे दी गई लिंक) देश के अलग-अलग सामाजिक वर्गों के बीच मौजूद रोजगार और बेरोजगारी की स्थिति पर केंद्रित एनएसएसओ की नई रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के ग्रामीण इलाके में 26.6 प्रतिशत एसटी एवं 23...

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बटाईदार किसानों को भी मिलेगा मुआवजा !

लखनऊ (राजीव दीक्षित)। बारिश और ओले की मार से अपना सर्वस्व लुट जाने के बावजूद सरकारी मुआवजे से वंचित बटाई पर खेती करने वाले सूबे के लाखों सीमांत और भूमिहीन किसानों के लिए यह उम्मीद भरी खबर है। दैवी आपदा की स्थिति में बटाई पर खेती करने वाले किसानों को मुआवजा मिल सके, सरकार इसका हल निकालने की कवायद में जुटी है। इसके लिए राजस्व संहिता में संशोधन किया जाएगा। प्रदेश...

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जल सत्‍याग्रहियों से हम बातचीत के लिए तैयार : मुख्‍यमंत्री

मूंदी ,खंडवा। मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि वे ओंकारेश्‍वर बांध परियोजना के संबंध में जल सत्‍याग्रह कर रहे लोगाें से बातचीत के लिए तैयार हैं। श्री चौहान शुक्रवार को पुनासा विकासखंड के ग्राम चांदेल में शुक्रवार को 418.50 करोड़ की लागत से निर्मित पुनासा उद्वहन सिंचाई परियोजना का शुभारंभ कर रहे थे। श्री चौहान ने लोकार्पण कार्यक्रम में हिस्सा लेने के बाद वृहद जल जनपंचायत को भी संबोधित किया। यह...

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राजनीतिक दलों में दलितों को लुभाने की होड़ - शिवानंद तिवारी

यह सबने देखा कि पिछले दिनों करीब-करीब सभी दलों में आंबेडकर जयंती मनाने को लेकर किस कदर होड़ रही। इस होड़ ने यही साबित किया कि दलित वोट की महत्ता आज पहले की तुलना में कहीं ज्यादा बढ़ गई है। दलितों को मतदान का अधिकार तो शुरू से ही है, लेकिन समाज में अपनी दयनीय स्थिति और राजनीतिक चेतना के अभाव में दलित समाज अपने इस अधिकार का इस्तेमाल नहीं...

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