मशहूर शायर फैज अहमद फैज ने अरसा पहले अपनी एक नज्म के जरिए औरतों को झकझोरने की कोशिश की थी। नज्म कुछ यूं है, 'बोल कि लब आजाद हैं तेरे, बोल जुबां अब तक तेरी है। उनकी इस नज्म ने महिलाओं पर गहरा असर डाला। यह नज्म जगह-जगह गुनगुनाई जाने लगी और अब इसका असर भी दिखने लगा है। यूं तो औरतों पर बंदिशों की कमी नहीं, लेकिन मुस्लिम समुदाय में...
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कर्ज माफी अंतिम उपाय नहीं-- आर. सुकुमार
देश के कई हिस्से इन दिनों कृषि संकट से गुजर रहे हैं।काफी हद तक इसकी वजह खराब मानसून है। ज्यादातर इलाकों में किसान आज भी सालाना बारिश पर निर्भर हैं, लेकिन कम बारिश के चलते साल 2014 और 2015 उनके लिए अच्छे नहीं रहे, हालांकि 2016 में अच्छी बारिश हुई थी। इस संकट की एक वजह कमोडिटी साइकिल (उत्पादों का चक्र) भी है, जिसके कारण खाद्य उत्पादों की वैश्विक कीमतें चक्रानुक्रम...
More »रिकॉल का अधिकार के लाभ --- वरुण गांधी
‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि यदि अधिकार, प्रतिनिधित्व, नामक मानव-निकाय को दे दिये जायें, तो वे चाहते हैं कि उनके अधिकारों को अन्य कोई व्यक्ति समुदाय के लाभ के लिए प्रयोग न करते हुए केवल अपने लाभ के लिए ही प्रयोग करेगा, यदि वे कर सकते हों.'-जेम्स मिल पांचवीं शताब्दी ईसवी पूर्व, प्राचीन एथेनियंस का अपने एक मात्र प्रजातंत्र के तहत एक मात्र सामाजिक रीति-रिवाज के साथ आविर्भाव हुआ. प्रत्येक...
More »वायु प्रदूषण के कारण एंटीबायोटिक दवाएं हो रहीं बेअसर..
वायु प्रदूषण से जीवाणुओं की क्षमता में वृद्धि होने के कारण सांस संबंधी संक्रमण के इलाज में दी जाने वाली एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो जाती हैं। यह बात एक शोध में सामने आई। ब्रिटेन में लीसेस्टर विश्वविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जूली मोरीसे ने कहा कि शोध से हमें यह समझने में मदद मिली है कि किस तरह वायु प्रदूषण मानव जीवन को प्रभावित करता है। उन्होंने कहा, इससे पता चलता है...
More »कैसे रुके शिशु मृत्यु दर-- रमेश सर्राफ धमोरा
किसी भी समाज की खुशहाली का अनुमान उसके बच्चों और माताओं को देख कर लगाया जा सकता है। पर जिस समाज में हर साल तीन लाख बच्चे एक दिन भी जिंदा नहीं रह पाते और करीब सवा लाख माताएं हर साल प्रसव के दौरान मर जाती हैं, उस समाज की दशा का अंदाजा लगाया जा सकता है। जब देश में आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं की कोई कमी नहीं है, तब ऐसा...
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