कहने को भारत कृषि प्रधान देश है। पर बात जब कृषि शिक्षा की आती है, तो सूरत अलग नजर आती है। हायर सेकेंडरी स्तर पर कृषि के पाठ्यक्रम में होने के बावजूद इस पर न सरकार का ध्यान है, न ही पढ़ने-पढ़ाने वालों का। स्कूल के बाद पढ़ाई जारी न रखने वाले अधिकांश छात्र खेती-किसानी में लग जाते हैं। लेकिन इसके लिए न तो उन्हें औपचारिक ज्ञान होता है, न...
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आज भी मजबूर हैं बच्चे
बाल श्रम के क्षेत्र में काम करने वाले कैलाश सत्यार्थी को नोबेल पुरस्कार मिलना देश के लिए गौरव की बात है। पर यह सवाल आज भी उतनी ही शिद्दत से हमारे सामने है कि कब हमारे देश से बाल श्रमिकों का उन्मूलन होगा। हाल ही में राजस्थान की राजधानी जयपुर के एक चूड़ी कारखाने से बिहार के 140 बाल मजदूरों को मुक्त कराया गया। यह बताता है कि बाल...
More »डेढ़ करोड़ का पैकेज छोड़ बने किसान, अब विदेशों में एक्सपोर्ट होते हैं इनके अनार
कोलकाता के दीपक गोयल के सिर पर खेती का जुनून ऐसा चढ़ा कि वे सालाना डेढ़ करोड़ रुपए पैकेज की नौकर छोड़ किसान बन गए। दीपक ने खंडवा के बंजारी गांव के पास 100 एकड़ जमीन खरीदी। अनार के पौधे लगाए। छह साल कड़ी मेहनत की। एक-एक पौधे की देखभाल की। अब यह पौधे बेहतर क्वालिटी के अनार उगल रहे हैं। अनार विदेशों में भी एक्सपोर्ट किया जा रहा है।...
More »बिना ईंधन के चलता है यह लिफ्ट एरीगेशन- उमेश यादव
भारतीय सेना से रिटायर्ड हजारीबाग के रहने वाले एक कर्नल ने जल प्रबंधन के लिए देसी पंप ईजाद किया है। यह एक ऐसा एरीगेशन सिस्टम है जिसमें बिना बिजली, डीजल, केरोसिन, पेट्रोल आदि ईंधन के पानी को पाइप के जरिये ऊपर पहुंचाया जाता है। जल प्रबंधन में कर्नल की इस नवीन खोज पर केंद्रित उमेश यादव की रिपोर्ट। पानी का संकट, महंगे पेट्रोल-डीजल और राज्य में बिजली की बदतर स्थिति झारखंड...
More »बच्चों की फीस के लिए पिता ने घर बेचा
सहरसा: अंगद का सपना था कि बच्चियों को पढ़ा-लिखा कर अपने पैरों पर खड़ा करें. इस दौरान जब पैसे की दिक्कत आयी तो उन्होंने पैतृक घर भी बेच डाला. बच्चियां भी पिता की अपेक्षा पर खरा उतरीं लेकिन महंगाई के इस दौड़ में अंगद का यह सपना पूरा नहीं हो पा रहा है. घर बेचने के बाद जो पैसे आये, उससे बेटियों का नामांकन तो कराया लेकिन अब फाइनल परीक्षा...
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