नूरपुर : सरकार की उपेक्षा के चलते निचले क्षेत्रों में देसी आम की प्रजाति लगभग लुप्त होने के कगार पर है। निचले क्षेत्र के आम की अपनी एक अलग पहचान है। यह आम जहां रस से भरा होता है, वहीं आसानी से हजम भी हो जाता है। बागवानों का अब धीरे-धीरे देसी आम से मोह भंग हो रहा है, क्योंकि एक तो देसी आम के पेड़ जगह अधिक घेरते हैं, वहीं उनमें फल भी काफी...
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धान व गेहूं की नई किस्मों का विकास
नई दिल्ली। सरकार ने मंगलवार को बताया कि भारतीय कृषि वैज्ञानिकों ने अधिक पैदावार वाली धान एवं गेहूं की नई किस्मों का विकास किया है। लोकसभा में देवजी एम पटेल एवं पकौड़ी लाल के प्रश्न के लिखित उत्तर में कृषि, उपभोक्ता मामलों और खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री प्रो के वी थामस ने बताया कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अधिक पैदावार देने वाली धान की 900 किस्में और गेहूं की 372 किस्मों का विकास...
More »बिहार: खेतों में पंजाबी मेहनतकश!
करगहर [रोहतास, सुरेंद्र तिवारी]। अभी तक सूबे के लोग ही पंजाब जाकर खेतों में मेहनत करते थे लेकिन समय के साथ बदली फिजा का असर है कि आज पंजाबी मेहनतकश बिहार के खेतों में पसीना बहाते नजर आ रहे हैं। इन लोगों से सीख लेकर यहां के लोग भी सूबे की उपजाऊ मिट्टी में सुखद भविष्य की कल्पना कर सकते हैं। किसानी की बदौलत कुछ हद तक मजदूरों के पलायन की रफ्तार में...
More »जनजीवन पर बुरा असर डाल रहा क्रशर
डोमचांच (कोडरमा)। भीषण वायु प्रदूषण के संकट से जूझ रहे हैं डोमचांचवासी। स्टोन चिप्स के धूल के कारण डोमचांच एवं इसके आसपास क्षेत्र के पेड़-पौधे व जंगलों का भीषण विनाश हो रहा है तथा लोग श्वांस और टीबी संबंधी बीमारियों से पीड़ित हो रहे हैं। वायु प्रदूषण का मुख्य कारण यहां पर नीरू पहाड़ी से लेकर पुरनाडीह तक दस किमी क्षेत्र में फैले सैकड़ों क्रशर मिलों से उड़ने वाला धूलकण है। सड़क के किनारे दोनों...
More »पड़ सकते हैं रोटी के लाले
इलाहाबाद : इस बार अन्नदाताओं पर दोहरी मार पड़ रही है। गर्मी के चलते गेहूं की पैदावार मनमाफिक नहीं हुई, उस पर दाने भी पतले हैं। जिन्हें खरीदने के लिये सरकार तैयार नहीं। कृषि विभाग के अफसर भी इस बात को लेकर चिंतित हैं कि जनपद में खोले गए 54 गेहूं क्रय केन्द्रों पर सन्नाटा क्यों पसरा है। अगर यही हाल रहा तो आम लोगों को आने वाले दिनों में रोटी के लाले पड़े सकते...
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