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तमाम योजनाओं और करोड़ों रुपये ख़र्च होने के बावजूद गंगा अगर साफ़ नहीं, तो ज़िम्मेदारी किसकी है

-द वायर, कोरोना महामारी के इस दौर में वाराणसी शहर के ज्यादातर घाटों पर अत्यधिक मात्रा में पाए गए हरे शैवाल ने भारत सरकार के गंगा स्वच्छता के नारे एवं परियोजना की पोल खोल दी है और तमाम सरकारी दावे धरे के धरे रह गए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि कहीं यह गंगा के विलुप्त होने का संकेत तो नहीं है? ऐसे में यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है कि भारत सरकार के द्वारा गंगा पुर्नरुद्धार के नाम...

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IFPRI रिपोर्ट: सरकार को महामारी के दौरान पोषण सहायता, शिक्षा और नौकरियों के मामले में सक्रिय भूमिका निभानी चाहिए!

अंतर्राष्ट्रीय खाद्य नीति अनुसंधान संस्थान (आईएफपीआरआई) की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि 25 मार्च, 2020 को किए गए देशव्यापी लॉकडाउन, जिसे लगभग दो महीने के लिए चरणों में बढ़ाया गया था, ने भारतीय आबादी के कमजोर वर्गों के भोजन और पोषण की स्थिति को प्रभावित किया. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मिड-डे मील योजना जैसे कार्यक्रम से देश के प्राथमिक-विद्यालय आयु वर्ग के 80 प्रतिशत...

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वैक्सीन पॉलिसी : वो पाँच सवाल, जिनके जवाब मोदी सरकार से मिलना अब भी बाक़ी है

-बीबीसी,  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत की वैक्सीनेशन पॉलिसी में एक बार फिर बदलाव किया. मंगलवार को केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 21 जून से शुरू होने वाली नई वैक्सीनेशन प्रक्रिया के लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी. नई गाइडलाइन के मुताबिक़ : •अब 75 फ़ीसदी टीका केंद्र सरकार ख़रीदेगी और 25 फ़ीसदी प्राइवेट अस्पताल ख़रीद सकेंगे. •राज्यों को टीका जनसंख्या, मरीज़, और टीकाकरण की रफ़्तार के आधार पर दिया जाएगा. वैक्सीन की...

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ओडिशा के किसान चाहते हैं नारियल की मंडी और उससे जुड़े उद्योग

-गांव कनेक्शन, ओडिशा के पुरी जिले के किसान भक्त बंधु दास के पास नारियल के 500 से ज्यादा पेड़ हैं। उनकी तरह उनके गांव और जिले के ज्यादातर किसान नारियल के बाग ही लगाते हैं, यही उनका मुख्य पेशा है। नारियल मोटी खेती है, जिसमें नुकसान की आशंका न के बराबर होती है। किसानों का कहना अगर वहां नारियल की मंडी लगने लगे तो नारियल से जुड़े उद्योग लग जाएं तो...

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"हम नहीं लगवाएंगे ज़हर का टीका": राजस्थान के गांव में फैला कोरोना टीके का खौफ

-न्यूजलॉन्ड्री,  अलवर के खुशीनगर गांव में लोगों के बीच बात फैली है कि जिन्हे पेंशन मिलती है केवल उन्हें ही टीका लगवाना है. इसे ढाल बनाकर गांव में लोग टीका नहीं लगवा रहे. 50 वर्षीय रतन वाल्मीकि कहते हैं, "हम टीका नहीं लगवाएंगे, हमें पेंशन नहीं मिलती है. गांव में उन्हीं लोगों का टीकाकरण हो रहा है जिनको सरकार की तरफ से कोई पैसा मिलता है." दरअसल, गांव में ये धारणा बनी...

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