आपने इस पर जरूर ध्यान दिया होगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के पहले सौ दिन का कामकाज एक बड़ी व्यावसायिक घटना में तब्दील हो गया। संभवतः यह पहला मौका है, जब बड़े मीडिया घरानों ने देशव्यापी सर्वे के लिए मार्केटिंग एजेंसियों को नियुक्त किया। सर्वे के परिणाम अखबारों के पहले पन्ने और टीवी चैनलों पर न केवल प्रकाशित-प्रसारित किए गए, बल्कि पूरे दिन सर्वे रिपोर्टों पर चर्चा...
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पूत के पांव और सौ दिन सरकार के- योगेन्द्र यादव
"पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं" वाली कहावत सुनकर मैं अक्सर सोचता हूं कि पालने में नामुराद पांव ही क्यों देखे जाते हैं? शायद, इसलिए कि पांव देखने से पूत के चाल-चलन का पता चलता है। भान होता है कि पूत के पांव आगे किस ओर जाएंगे, कहां रूके-टिकेंगे और कहां फिसलेंगे। चूंकि नई सरकार और उसके मुखिया ने अभी बस सौ दिन पूरे किए हैं, सो उसके...
More »कोरबा के पास डंडे के जोर पर उद्योग के लिए भूमि अधिग्रहण
कोरबा (निप्र)। एसईसीएल के गेवरा विस्तार परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई ग्राम पोड़ी में प्रशासन ने डंडे की जोर पर की। महिलाओं को घरों से बाल पकड़कर न केवल घसीटते हुए निकाला गया, बल्कि लाठी से बर्बरतापूर्वक पीटा गया। महिलाएं बिलखती रहीं, पर प्रशासन का दिल नहीं पसीजा। जो भी सामने आया, बस उस पर डंडे बरसाए और जबरिया बस में डालकर चौकी ले गए। मकानों का सामान...
More »हजार में 46 बच्चों की हो रही मौत, केंद्र से मांगे 56 करोड़
रायपुर (निप्र)। राज्य में हर साल करीब 4 लाख बच्चे जन्म लेते हैं और इनमें से लगभग 18 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। भारत सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में शिशु मृत्युदर का प्रतिशत प्रति हजार 46 है। अब राज्य सरकार ने नया लक्ष्य तैयार किया है, जिसमें प्रति हजार 46 बच्चों की मौत को 2017 तक घटाकर 30 तक पहुंचना है, जिसके लिए केंद्र से सत्र...
More »बेलगाम महंगाई के पोषक- विकास नारायण राय
जनसत्ता 22 अगस्त, 2014 : वित्तमंत्री अरुण जेटली के अनुसार आम लोगों के लिए बवालेजान बनी महंगाई का सीधा संबंध बाजार में आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति से है। भारतीय शासकों का यह जाना-माना तर्क रहा है, जो जनता को बरगलाने वाले अगले पाखंड की जमीन भी तैयार करता है। शासकों का अगला तर्क होता है कि आम लोगों की जरूरत की चीजों की आपूर्ति जमाखोरों ने रोक रखी है और...
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