-न्यूजलॉन्ड्री, 24 मार्च को रात आठ बजे देश को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अगले 21 दिनों के लिए देशभर में पूर्ण रूप से लॉकडाउन करने का फैसला सुनाया. अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने साफ़ शब्दों में कहा कि इस बीमारी का एकमात्र इलाज लोगों से दूरी बनाकर अपने घरों में रहना है. उन्होंने कहा कि जिन राष्ट्रों में सबसे बेहतर मेडिकल सुविधाएं हैं, वे भी इस वायरस को रोक...
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कोरोना वायरस: लॉकडाउन से अर्थव्यवस्था को हो सकता है नौ लाख करोड़ रुपये का नुकसान
-द वायर, विशेषज्ञों का मानना है कि कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए देश भर में की गयी बंदी (लॉकडाउन) से अर्थव्यवस्था को 120 अरब डॉलर (करीब नौ लाख करोड़ रुपये) का नुकसान हो सकता है. यह भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के चार प्रतिशत के बराबर है. उन्होंने राहत पैकेज की जरूरत पर जोर देते हुए बुधवार को आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान में भी कटौती की. उन्होंने कहा...
More »कोरोना वायरस, सर्विलांस राज और राष्ट्रवादी अलगाव के ख़तरे
-न्यूजलॉन्ड्री, दुनिया भर के इंसानों के सामने एक बड़ा संकट है. हमारी पीढ़ी का शायद यह सबसे बड़ा संकट है. आने वाले कुछ दिनों और सप्ताहों में लोग और सरकारें जो फ़ैसले करेंगी, उनके असर से दुनिया का हुलिया आने वाले सालों में बदल जाएगा. ये बदलाव सिर्फ़ स्वास्थ्य सेवा में ही नहीं बल्कि अर्थव्यवस्था, राजनीति और संस्कृति में भी होंगे. हमें तेज़ी से निर्णायक फ़ैसले करने होंगे. हमें अपने फ़ैसलों...
More »कोरोना के प्रकोप से बचने के लिए 'वर्क फ्रॉम होम' जैसे उपाय भारतीय श्रमिकों के लिए नहीं हैं मददगार
साल 2020 से पर्दा उठते ही इसके शुरुआती जनवरी महीने में चीन जैसी महाशक्ति को COVID-19 के व्यापक प्रकोप से झूझते हुए पाया, जोकि कुछ दिनों के भीतर ही वैश्विक स्तर पर फैल गया. COVID-19 की तीव्र प्रसार क्षमता के अध्ययन के बाद, स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बाकी की आबादी के बीच तेजी से इसके प्रसार को रोकने के लिए कुछ तरीके सुझाए हैं. स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने इंटरनेट कनेक्टिविटी के युग...
More »2020 का दशक जल की अग्नि परीक्षा का दशक
न्यूजलॉन्ड्री, मुझे नहीं लगता कि हम कभी पानी के लिए युद्ध लड़ेंगे या शहरों से पानी पूर्णतया खत्म हो जाएगा या फिर हमारे पास पीने योग्य पानी नहीं बचेगा. हालांकि मैं यह भी स्वीकार करती हूं कि हमारे देश में पानी की कमी का भीषण और गंभीर संकट है जो दिन प्रतिदिन गहराता ही जा रहा है. लगातार बढ़ती आबादी वाले शहरों और उद्योगों की बढ़ती संख्या पानी के अंधाधुंध उपभोग...
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