अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के 2017 के आंकड़ों के अनुसार भारत में आधिकारिक रूप से 1.8 करोड़ बेरोजगार हैं, जिनमें अधिकांश युवा हैं. श्रम और रोजगार मंत्रालय की बीते साल की रिपोर्ट बताती है कि संगठित क्षेत्र में रोजगार, कुल रोजगार का सिर्फ 10.1 फीसद है, जबकि हमारे 60 करोड़ से अधिक कामगारों को असंगठित क्षेत्र में रोजगार मिला हुआ है, जहां सीमित सामाजिक सुरक्षा मिलती है और न्यूनतम वेतन का...
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आर्थिक समीक्षा में बजट की झलक-- राजेश रपरिया
राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद पेश आर्थिक समीक्षा 2017-18 से उम्मीद जतायी गयी है कि 2018-19 में 7 से 7.5 फीसदी आर्थिक वृद्धि हासिल करने के बाद भारत एक बार फिर दुनिया की सबसे तेजी से बढ़नेवाली बड़ी अर्थव्यवस्था बन जायेगा. इस समीक्षा में 2017-18 में 6.75 फीसदी आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है. इससे पहले केंद्रीय सांख्यिकीय कार्यालय ने चालू वित्त वर्ष के दौरान आर्थिक वृद्धि 6.5 फीसदी रहने...
More »आर्थिक सर्वेक्षण : जलवायु-परिवर्तन से 25% तक घट सकती है किसान की आय
किसान की आमदनी साल 2022 तक दोगुनी करने के सरकार के वादे की राह में बड़ी बाधा जलवायु-परिवर्तन बन सकता है. नये आर्थिक सर्वेक्षण के तथ्य बताते हैं कि अगले कुछ सालों में जलवायु-परिवर्तन की वजह से खेतिहर आमदनी में 25 फीसद तक की कमी आ सकती है. आर्थिक सर्वेक्षण में शामिल जलवायु-केंद्रित अध्याय के मुताबिक किसी साल औसत तापमान के 1 डिग्री सेल्सियस अधिक रहने पर सिंचाई की सुविधा से वंचित इलाकों में...
More »मोहनदास से महात्मा तक--- श्रीभगवान सिंह
आमतौर पर यह धारणा प्रचलित है कि गांधीजी को पहली बार ‘महात्मा' से संबोधित किया रवींद्रनाथ ठाकुर ने। लेकिन धर्मपालजी अपनी पुस्तक में बताते हैं कि दक्षिण अफ्रीका से भारत वापस आने पर गांधी को पहली बार ‘महात्मा' के रूप में संबोधित किया गया 21 जनवरी 1915 को, गुजरात के जेतपुर में हुए नागरिक अभिनंदन समारोह में। इसमें प्रस्तुत अभिनंदन पत्र में ‘श्रीमान महात्मा मोहनदास करमचंद गांधी' जैसे आदरसूचक शब्दों...
More »मातृत्व लाभ तुरंत लागू किया जाय- रोज़ी-रोटी अधिकार अभियान
रोज़ी रोटी अधिकार अभियान गर्भवती महिलाओं व उनके शिशुओं के लिए न्याय माँगता है. चार साल से अधिक समय से भारत की सब महिलाएं (केवल औपचारिक क्षेत्र में काम कर रही महिलाओं को छोड़कर) राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून 2013 के अनुसार कम से कम 6,000 रुपये के मातृत्व भत्ते की हकदार हैं. सरकार महिलाओं का यह अधिकार देने में पूर्ण रूप से असफल रहा है. कुपोषण व शिशु और मातृत्व मृत्यु...
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