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उर्जा वन में नहीं अंकुरित हुए बीज, एक पौधा भी नहीं उगा, लाखों की राशि हुई बेकार

बैतूल। जंगलों के आसपास रहने वाले लोगों को जलाऊ लकड़ी मुहैया कराए जाने के लिए उर्जावन तैयार करने के नाम पर जिले में सरकारी राशि को पलीता लगाने का मामला सामने आया है। जिले के पश्चिम वन मंडल के अंतर्गत आने वाली 5 रेंजों में वन विभाग ने 28 उर्जावनों में विभिन्न प्रजातियों के पेड़ तैयार करने के लिए बीज खरीदकर बुवाई की थी लेकिन बमुश्किल आधा दर्जन स्थानों को...

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बजट 2018: भारत में कृषि सुधार की आखि‍री उम्‍मीद है, सरकार को उठाने होंगे ये कदम

नई दि‍ल्‍ली. आम बजट 2018 मौजूदा सरकार का आखि‍री फुल बजट होगा क्‍योंकि बहुत हद तक मुमकि‍न है कि 2019 में चुनाव की वजह से वोट ऑन एकाउंट पेश हो। ऐसे में कृषि सुधार से जुड़े कुछ ऐसे जरूरी मुद्दे हैं जि‍नपर बजट में ठोस एलान होना चाहि‍ए। यह बहुत अजीब है कि एक तो ओर तो देश में 30 फीसदी कंज्‍यूमर भूखा है, 50 फीसदी बच्‍चे कुपोषण...

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राजनीतिक शक्ति बनें किसान-- राजकुमार सिंह

अगर किसी कृषि प्रधान देश में कृषि और किसान ही संकट में आ जायें तो देश की दशा-दिशा का अंदाजा लगा पाना मुश्किल नहीं होना चाहिए। भारत एक कृषि प्रधान देश है, यह बात दशकों से पाठ्य पुस्तकों में पढ़ायी जाती रही है, क्योंकि लगभग 80 प्रतिशत तक आबादी जीवनयापन के लिए कृषि और उससे जुड़े काम-धंधों पर निर्भर रही है। इसलिए ग्रामीण भारत को ही असली भारत भी कहा...

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शोध में खुलासाः कानपुर का पानी बच्चों को कर रहा बूढ़ा

कानपुर का पानी बच्चों को समय से पहले ही बूढ़ा बना रहा है। इससे उनके चेहरों की चमक गायब होकर झुर्रियां पड़ रही हैं तो उम्र से पहले ही बाल झड़ने लगते हैं। यही नहीं, कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी अपनी जकड़ में ले रही हैं। यह खुलासा हुआ है छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के बायोसाइंस एंड बायोटेक्नोलॉजी (बीएसबीटी) विभाग की एक रिसर्च में। बीएसबीटी विभाग के बायोकेमिस्ट्री विभाग...

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बोलने की आजादी बनाम बड़बोलापन-- रमेश दवे

लोकतंत्र सभ्यता, शील और मर्यादा के उत्कर्ष की सत्ता-प्रणाली है। पर कुछ वर्षों में लोकतंत्र के शील का आसन भाषण की अराजकता से गंदा किया गया है। यह सच है कि भारत के सर्वश्रेष्ठ और विश्व के सबसे बड़े संविधान ने अनेक दायित्व, मर्यादाएं, सीमाएं और अभिव्यक्ति की आजादी का नागरिक और नैतिक अधिकार भी दिया है, लेकिन बोलना अगर बड़बोलापन बन जाए, अभिव्यक्ति अगर विकृति बन जाए और संविधान...

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