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एनसीबी पर सवाल उठ रहे हैं लेकिन इस समस्या का एक पार्ट एनडीपीएस एक्ट भी है

-न्यूजलॉन्ड्री, स्वापक नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) द्वारा अपने मुंबई मंडलीय निदेशक समीर वानखेड़े के खिलाफ गड़बड़ी के आरोपों की सतर्कता जांच के आदेश के बाद, एजेंसी के आचरण पर सवाल उठ रहे हैं. लेकिन मशहूर हस्तियों से जुड़े मामलों के कारण एनसीबी के सुर्खियों में आने से बहुत पहले, संसद में इस बारे में चिंताएं उठाई गई थीं कि कानून प्रवर्तन एजेंसियां स्वापक औषधि और मन प्रभावी पदार्थ (एनडीपीएस) अधिनियम को किस प्रकार लागू करेंगी. 29...

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पैंडोरा पेपर्स: पैसे छिपाने के नए ठिकाने

-आउटलुक, “कमाई छिपाने के लिए अमीर उन देशों में पैसे भेज रहे जहां टैक्स की दर बहुत कम, लगातार होती घटनाएं बताती हैं कि आर्थिक अपराध रोकने के कानून बेमानी” बैंकों से कर्ज लो, पैसा विदेश भेजो और देश में खुद को दिवालिया घोषित कर दो। भारत में यह नया ट्रेंड बनता जा रहा है। यह बात पनामा पेपर्स और पैराडाइज पेपर्स के बाद अब ‘पैंडोरा पेपर्स’ के खुलासे से साबित होती...

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विश्व-गुरु बनने के दावों के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों का सैन्यकरण

-जनपथ, “राष्ट्र” के जटिल “अमानवीय” आदेशों के पालन करने में थोड़ी चूक होती है तो हम सजा पाते हैं। अपने कार्यालयों में कुछ भूलें होती हैं और हम पर कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई होती है। समाज के भीतर भी हमसे गलतियां होती हैं और हम इसकी भी अनुदारता के शिकार होते हैं। धार्मिक और पवित्र माने जाने वाली दैविक जगहों पर भी किसी प्रकार के अपराध के लिए शायद ही माफ़ी की...

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सेना में महिलाओं की बढ़ती संख्या के साथ यौन शोषण के बढ़ते मामलों की अनदेखी नहीं की जा सकती, चुप्पी नहीं साध सकते

-द प्रिंट, सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर में एक फैसला सुनाकर सेना में महिलाओं को नेशनल डिफेंस एकेडमी के जरिए सीधे कमीशन किए जाने का रास्ता साफ कर दिया. पिछले साल 17 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने एक निर्देशक फैसला सुनाकर शॉर्ट सर्विस कमीशन की महिला अधिकारियों को भारतीय सेना के उनके पुरुष सहकर्मियों के बराबर का दर्जा दे दिया था ताकि उन्हें स्थायी कमीशन के लिए, और इन्फैन्ट्री/ मेकनाइज्ड इन्फैन्ट्री/ आर्मर्ड कोर तथा आर्टिलरी को...

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सिद्दीकी कप्पन केस: क्या कहता है एक साल से जेल में बंद कैब ड्राइवर आलम का परिवार

-न्यूजलॉन्ड्री, "हमारी शादी को हुए अभी पूरे दो साल भी नहीं बीते हैं, ये मेरी ज़िंदगी के बहुत खुशगवार लम्हें थे लेकिन उनके जेल जाने के बाद से ज़िंदगी बहुत मुश्किल हो गई है, हर दिन इस आस में रहती हूं कि वे अगली सुनवाई पर रिहा हो जाएंगे, लेकिन नाउम्मीद होकर घर लौट आती हूं. आलम एक ऐसी सजा भुगत रहे हैं जिसकी कोई वजह ही नहीं है" ये शब्द उत्तर...

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