SEARCH RESULT

Total Matching Records found : 547

जरूरत से ज्यादा लोकतंत्र होने का भ्रम: बिना राजनीतिक आज़ादी के कोई आर्थिक आज़ादी टिक नहीं सकती

-द प्रिंट, अब यह बहस बेमानी है कि नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने जो यह कहा कि ‘हमारे यहां लोकतंत्र कुछ ज्यादा ही है’ उसका क्या मतलब है. आप उन लोगों के साथ भी जा सकते हैं जो इस बयान से नाराज हैं और इसे सीमित लोकतंत्र की मोदी सरकार की अवधारणा का एक बेबाक नौकरशाह के मुंह से किया गया खुलासा मानते हैं. या आप इस बृहस्पतिवार को ‘इंडियन...

More »

क्या बाइडन भारत के लिए ट्रंप से बेहतर साबित होंगे?

-इंडिया टूडे, 'मुफ्त में कुछ भी नहीं’ एश्ले जे. टेलिस सीनियर फेलो, कार्नेगी एंडोवमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस, वाशिंगटन डीसी बाइडन पारंपरिक अमेरिकी राष्ट्रपति के सांचे में ढले होंगे. विदेश से जुड़़े हुए मामलों में अमेरिका की अगुआई के प्रति फिर प्रतिबद्धता, हमारे गठबंधनों में फिर निवेश और बहुपक्षीय संस्थाओं के साथ फिर जुड़ाव होगा. अमेरिका-भारत संबंध अच्छे मुकाम पर हैं और ट्रंप जहां छोड़कर गए हैं, नया बाइडन प्रशासन उसकी रक्षा करना चाहेगा और...

More »

यूएनईपी-आईएलआरआई रिपोर्ट: जूनोटिक रोगों के बढ़ते संक्रमण को रोकने के लिए मानवीय गतिविधियों पर निगरानी जरूरी

संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम (UNEP) और इंटरनेशनल लाइवस्टोक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) द्वारा 6 जुलाई (इस वर्ष विश्व भर में अनुसंधान संस्थानों और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा वर्ल्ड जूनोसेस डे के रूप में मनाया गया) को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह बताया गया है कि मनुष्यों में 60 प्रतिशत ज्ञात संक्रामक रोगों की उत्पत्ति कहीं न कहीं एक जानवर से संबंधित रही है. इसी तरह, सभी नए और उभरते संक्रामक...

More »

आइएमएफ का मूल्यांकन करने वाले चाहते हैं कि भारत की तर्ज पर पूंजी नियंत्रण दुनियाभर में अपनाया जाये

-द प्रिंट, पिछले तीन महीने में भारत में पूंजी की आवाजाही में भारी वृद्धि देखी गई है. मार्च से लेकर मई 2020 तक कोरोना वायरस के चलते औनेपौने भाव में बिक्री हुई जिनसे भारत से विदेशी पूंजी बाहर गई. जून से यह दिशा उलट गई, जून में कुल पोर्टफोलियो निवेश 3.4 अरब डॉलर के बराबर था, जो अगस्त में बढ़कर 6.7 अरब डॉलर के बराबर हो गया. सितंबर में मामूली पूंजी बाहर...

More »

कृषि विधेयक और श्रम क़ानून में बदलाव: महामारी के बीच मोदी सरकार का विध्वंसकारी खेल

-द वायर, पिछले साल नीति आयोग के सीईओ अमिताभ कांत ने स्पष्ट रूप से स्वीकार किया था कि बड़े संरचनात्मक सुधारों जैसे नोटबंदी और जीएसटी ने अर्थव्यवस्था और इसके विकास में गंभीर व्यवधान पैदा किया है, भले ही ऐसे सुधार लंबे समय में फायदेमंद होंगे. इससे पहले कि इन तबाही लाने वाले मशहूर सुधारों के कोई लाभ दिखाई देते, मोदी सरकार ने नए कृषि विधेयकों और श्रम कानूनों में बदलाव के रूप...

More »

Video Archives

Archives

share on Facebook
Twitter
RSS
Feedback
Read Later

Contact Form

Please enter security code
      Close